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ग़ज़ल
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रात काळी पहाड़ सी लागै
सुरेन्द्र पारीक ‘रोहित’
डोकरी रै सनेसां में हेज रा हबोळा
सुमन बिस्सा
आंध्यां चालै है इन्कलाब री
असद अली ‘असद’
सिरजन री औगत राखिजे
बनवारी ‘खामोश’
ऊगतो सूरज
पवन शर्मा
बड़बोलां रो जोर भायला
रामदयाल मेहरा
मिली निजर तो म्हैं घबरायो
प्रदीप शर्मा ‘दीप’
तन सूरज रौ काळौ कित्तौक
पुरुषोत्तम छंगाणी
अन्तस नैं इतरो मत रोंदो
प्रेमदान चारण
माथा पर ले उमर रो भारो
कविता किरण
न तू ई सुधर्यो न म्हूँ अ'र यो सारो बीत बी ग्यो
पुरुषोत्तम 'यकीन'
पगडंडी सड़कां में गुमगी
कल्याण सिंह शेखावत
आफतां बीच अड़ग जीवूं हूं
रामेश्वर दयाल श्रीमाली
अफसर री जबान है बाबू
पवन शर्मा
मिनख कैवै है कै दिवाळी है
रामेश्वर दयाल श्रीमाली
थे स्हारौ द्यौ, बै आदमी सफल बण ज्यासी
अरविन्द चूरुवी
गिगन घटा घनघोर फिरै
कविता किरण
उचक मत बावळा इतरो, जोबन रो जोर ढळगो है
वीरेन्द्र कुमार लखावत
न्हं मंदर की छै अर न्हं मस्जिद की भाई
कृष्णा कुमारी ‘कमसिन’
मिनखां सूं ही जीते मिनख
कासिम अली
अेक भायौ छै अेक बाई छै, अेक म्हूँ अेक वाँ की माई छै
पुरुषोत्तम 'यकीन'
दया ऊंकी बणी है तो
बुद्धिप्रकाश पारीक
सांच सूं इंकार कर रह्या है, युधिष्ठिर
कुंदन सिंह 'सजल'
आगे-पाछे मत नाल़ो
पुष्कर 'गुप्तेश्वर'
जे सोयाबीन जम जावै, तो मांडो आज गड़ जावै
राम नारायण मीणा ‘हलधर’
तकदीरां री बातां अै
अशोक जोशी ‘क्रांत’
थूं तो खुद रै बारै आ
सुशील एम.व्यास
धन रा लोभी बात बदळ दी,
श्रवण दान शून्य
इक हिंवाळो फेर गाळ्यो जायलो
राजेश विद्रोही
निज भोगी पर बीती कह तूं
रामदयाल मेहरा
दिवलो बळतो रयो रात भर
श्यामसुन्दर भारती
जिका जळम सूं गेला है
पवन पहाड़िया
ममता नै वौ मोल रयौ है
कविता किरण
कई काम रा लूका ई
पुष्कर 'गुप्तेश्वर'
खूब दनां में आया जी
कृष्णा कुमारी ‘कमसिन’
अंतस तणी
रतन सिंह चांपावत
हूँ थारी याद लियां बैठ्यो हूँ
लक्ष्मीनारायण रंगा
सबदां री शमशीर परखजै
रतन सिंह चांपावत
मारी खेतर चरी रया आ हूं मजाल है
ज्योतिपुंज
थांनै कुण कह्यो कै कपूत सो लागै
अरविन्द चूरुवी
पिराण डील मं नीं मर् या-मर् या छै
अरविन्द चूरुवी
बाण्णे बाण्णे उजरा उजरा, कपट हिया में राकें हैं
उपेन्द्र अणु
रोज मिलै बै यार कठै
पवन शर्मा
कत्ती गोहरी काळी रात
सवाई सिंह शेखावत
अेक काळम्या को ही घेरो
रामदयाल मेहरा
जिनगी में पग-पग रोड़ा
विनोद सोमानी 'हंस'
काठ है नीं कबाड़ है बाबू
बनवारी ‘खामोश’
किस्मत नै अजमाय देख लूं
कविता किरण
गजल रै मांय लाय राखूंला
रामेश्वर दयाल श्रीमाली
मती मार तू जोर भाइड़ा
कुलदीप पारीक 'दीप'
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