वियोग पर कवितावां

वियोग संयोग के अभाव

या मिलाप न होने की स्थिति और भाव है। शृंगार में यह एक रस की निष्पत्ति का पर्याय है। माना जाता है कि वियोग की दशा तीन प्रकार की होती है—पूर्वराग, मान और प्रवास। प्रस्तुत चयन में वियोग के भाव दर्शाती कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता47

कुरजां

चैन सिंह शेखावत

सरद रो अभिसार

रामनाथ व्यास ‘परिकर’

साख राजा मालदेव री

सत्यप्रकाश जोशी

ऊजड़ चूल्हां री राख

रामस्वरूप किसान

पतियारो

मदन गोपाल लढ़ा

रेशम री डोर

नीलम पारीक

तू नईं आई

कृष्ण बृहस्पति

'गणगौर'

विष्णु विश्वास

कूक कूक ने कोयळड़ी

प्रियंका भट्ट

कुरजां री कुरलाट

चंद्रशेखर अरोड़ा

बायरिया!

नैनमल जैन

अचपळा बादळ

नरेंद्र व्यास

ओळ्यूं

बंशीलाल सोलंकी

सनेसो

सत्यप्रकाश जोशी

सनेसौ

चन्द्र प्रकाश देवल

नेह रौ दिवलौ

निर्मला राठौड़

लोर

सुबोधकुमार अग्रवाल

सावणिये रा लोर

सोनी सांवरमल

मरद-लुगाई

सत्यप्रकाश जोशी

पडळां

कुमार अजय

मारूणी

आभा माथुर

पीड़

शिवराज भारतीय

सीखड़ली री वेळा

निर्मला राठौड़

साख राणी उमादे री

सत्यप्रकाश जोशी

बिरह

अनीता सैनी

साथ

नंदकिशोर सोमानी ‘स्नेह'

अपरंच

सत्यप्रकाश जोशी

मैसेज

किरण राजपुरोहित 'नितिला'

परदेसी

शिवदान सिंह जोलावास

ऊंडै आभै गूंजती

मालचंद तिवाड़ी

चाँद अर सूरज

निशा आर्य

तू याद कर

हरीश हैरी

रुखाळौ

मणि मधुकर

कद भूली मैं

नीलम पारीक

विरह

नारायण सिंह भाटी

सीर

कुलदीप पारीक 'दीप'

अळगाव

मणि मधुकर

अणमणो इकलापो

जनकराज पारीक

प्रेम रा मोती

रचना शेखावत

कसूम्बा

मोहम्मद सदीक