झिरमिर-झिरमिर मेवलो बरस
गोरी तरसै महल तळ
आज्यो जी म्हारा सजन सनेही
सावणियै रा लोर गळ
बोरंग चूनड भीजण लागी
टपटप-टपटप रस बरसै
काग उडावै छाजै पर धण
परदेसी रो पथ निरखै
भायलड्या में रमग्यो पनजी
घर थारी सुदर तरसै-आज्यो॰

फुलडा सिरसो पीयर छोड्यो
बाबल छोड्यो मां छोडी
घर-घर री हमजोळी छोडी
भण ठिणकती घर छोडी
थारै लैर सिधारी छला
थे करकै विरहण छोडी-आज्यो॰

बादळ माही बिजळी चिमकै
गोरी डरपै महला में 
ढोली जाय बिदेसा रमग्यो
मरवण तडपै सेजा में 
आज्यो घर निरमोही मारू
सावण सूनी देख छलै-आज्यो॰

आमूल को गाछ लगाग्या
घेर घुमेर हुयो लूम
मधरा-मधरा बादळ गाजै
मतवाळा घिर-घिर घूमै
मीठी पून चळ पुरवाई
चूवण लाग्या आम तळै-आज्यो॰

पोला पग की पायल बणग्या
बीटी बणगी बद बगडी
इण आख्यां में पीव मिलण की
आस लगी जद ज्यान खडी
इक वर स्याम दरस द्यो आकर
नैणा झर-झर नीर ढळै-आज्यो॰

स्याम हमारो जाकर रमग्यो
थे मत रमज्यो रावळिया
एक बिदाई दी थी बानै
दूजी थानै सावळिया
एक उडीक हियै में बाकी
दूजी थाकी पलक तळै-आज्यो॰

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : सुबोधकुमार अग्रवाल ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य संगम (अकादमी) बीकानेर ,
  • संस्करण : दूसरा संस्करण
जुड़्योड़ा विसै