जूनौ कोस

राजस्थान रो प्राचीन साहित्य संग्रै

An archive of Rajasthani literature from c1200 to c1900. Includes Charan, Jain and Sant Sahitya in both Dingal and Pingal and various styles/forms which include rupak, vigat, vachanika, khyat, baat, raso, veli, davavait, geet et cetra.

आचार्य भिक्षु

जैन तेरापंथ धर्मसंघ रा संस्थापक अर पैला आचार्य। रचनावां जैन धार्मिक शिक्षा अर तेरापंथ रा आचार विचार सूं सम्बंधित।

आलम जी

विश्नोई पंथ रै संस्थापक गुरु जांभोजी रा हुजूरी सिस्य अर गायन विद्या मांय अति निपुण संतकवि।

आत्माराम 'रामस्नेही संत'

रामस्नेही संत संप्रदाय रै शाहपुरा, भीलवाड़ा पीठ रा संत रूपदास जी अवधूत रा सिष्य। गुरु रूपदास जी री जीवनी रा प्रामाणिक व्याख्याकार अर मुगति - विलास ग्रंथ रा सिरजनकर्ता।

अलूनाथ कविया

सिद्ध भक्त कवि,। गुरु जाम्भोजी रा प्रमुख शिष्य, आपरी रचनावां में जाम्भोजी ने विष्णु रा अवतार बताया। घणकरी फुटकर रचनावां इज मिळै। बेजोड़ कवित्त(छप्पय) रचण खातर चावा। जसराणा (नागौर) में जीवित समाधी ली।

आशानंद बारहठ

जोधपुर शासक राव मालदेव रा समकालीन अर राज आश्रित कवि। प्राकृत, संस्कृत अर डिंगल रा ज्ञाता। 'उमादे भटियाणी रा कवित्त' अर 'बाघजी रा दूहा' जैड़ी ठावकी रचनावां खातर चावा।

बादर ढाढ़ी

मध्यकाल रा चावा ऐतिहासिक काव्य ग्रन्थ वीरमायण (वीरवांण) रा रचैता। डिंगल रा प्रमुख चारणेतर कवि।

बखना जी

दादूदयाल रा प्रमुख बावन शिष्यां में सूं एक। कवि अर गायक संत रै रूप में चावा। पदां में सांप्रदायिक सदभाव रो प्रचार अर आत्म ज्योति जगावण माथै बल दियौ।

बालकराम

दादू पंथी संत सुन्दरदास जी (छोटा) रा शिष्य। रचनावां में भक्ति, नीति अर अध्यात्म शिक्षा रै साथै उपदेशां री व्यापकता।

बना बारहठ

मध्यकालीन चारण कवि। विसर काव्य रा फुटकर डिंगल गीत रचिया।

बांकीदास आशिया

जोधपुर महाराजा मानसिंह रा काव्य गुरु। मध्यकाल रा सिरै डिंगल कवि अर 'आयो अंगरेज' जेड़ौ राष्ट्रीय चेतना परक गीत लिख'र देशी राजावां नें अंग्रेजां रे ख़िलाफ़ चेतावण वाळा पैला कवि। वीर, शृंगार, नीति, भक्ति आद सगळी धारवां में समान रूप सूं सृजन करियो।

बीठू सूजा

बीकानेर रे मुन्जासर गाँव में जल्मियोड़ा वीर रस रा सांतरा कवि, जिका 'राव जैतसी रो छंद' नाम रे साहित्यिक अर ऐतिहासिक दीठ सूं घण महताऊ ग्रंथ री रचना करी।

भभूतदान

जोधपुर महाराजा अजीतसिंह रा आश्रित। स्वाभिमानी प्रवृत्ति रा कवि। आपरी रचनावां में आश्रयदाता री प्रशस्ति कम अर ओळभा ज्यादा लिखिया।

बोहड़ बीठू

बीकानेर रै साठीका गाँव में जलम। मध्यकाल रा चावा डिंगल कवि।

बृजदासी रानी बांकावती

जयपुर रा लीवाण प्रदेश रा राजा आनंदराम री पुत्री अर किशनगढ़ महाराजा राजसिंह री राणी। मूल नांव बृजकुँवारी पण बृजदासी नांव सूं कविता लिखता। कृष्ण भक्ति में आस्था रै पांण ;भागवत' रो राजस्थानी में छन्दोबद्ध अनुवाद करियो। अन्य रचनावां भी मिळै।

बुद्धसिंह हाड़ा

बूंदी रा शासक। पिंगल रा रीतिकालीन सिरै आचार्य कवि।

चंद बरदाई

चौहान शासक पृथ्वीराज तृतीय सूं सम्बधिंत वीर अर सिणगार रस रै चावै ग्रन्थ 'पृथ्वीराज रासो' रा रचैता। जलम अर रचनाकाल बाबत विद्वानां रा न्यारा न्यारा मत।

चतुर्भुज बारहठ

किशनगढ़ राज्य निवासी, बारहठ शाखा रा चारण कवि। भगति रस रा मर्मस्पर्शी डिंगल गीतों रा रचैता।

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