जैन शैली रा कवि
जैन मुनि अर संत कवि धार्मिक उपदेश अर नीति सूं सम्बंधित रचनावां आपरी विशेष शैली में करी। वां री आ शैली 'जैन शैली' रै रूप में ओळखीजै।
जैन मुनि अर संत कवि धार्मिक उपदेश अर नीति सूं सम्बंधित रचनावां आपरी विशेष शैली में करी। वां री आ शैली 'जैन शैली' रै रूप में ओळखीजै।
आचार्य भिक्षु जैन तेरापंथ धर्मसंघ रा संस्थापक अर पैला आचार्य हा। भिक्षु री रचनावां जैन धार्मिक शिक्षा अर तेरापंथ रा आचार विचार सूं सम्बंधित।
मध्यकालीन राजस्थानी भगती काव्यधारा रा अज्ञात संत-कवि।
पन्द्रहवैं सईकै रा जैन संत।
मध्यकालीन जैन संत परम्परा रा कवि।
मध्यकाल रा जैन संत कवि अर भट्टारक वादिचन्द्र रा सिस्य।
मध्यकाल रा जैन संत।
जैन संत अर भट्टारक देवेन्द्रकीर्ति रा सिस्य।
मध्यकाल रा जैन संत कवि।
पन्द्रहवै सइकै रा प्रमुख जैन संत।
भट्टारक विजयकीर्ति रा सिस्य अर मध्यकाल रा विद्वान जैन संत।
भट्टारक रत्नकीर्ति रा खास सिस्यां मांय सूं अेक।
मध्यकाल रा जैन कवि।
जैन मुनि। जैन धर्म ग्रंथां रे अलावा 'गोरा-बादल पदमणि चउपई', 'सीताचरित', 'शीलवती कथा', 'अभयकुमार चउपई' आद रचनावां रा रचनाकार।
उत्तरमध्यकाल रा कवि अर जैन धरम प्रचारक।
जैन धर्म रे तेरापंथ धर्म संघ रा चौथा आचार्य। मूल नांव जीतमल हो, जय नाम सू साहित्य लेखन करता।
ख्यातनांव जैन कवि। राजस्थानी अर गुजराती दोन्यूँ भासा रा जाणकार।
महीराज सोळहवैं सईकै रा जैन कवि
मध्यकाल रा महताऊ जैन धरम प्रचारक कवि।
उत्तर मध्यकाल रा चारण शैली रा प्रमुख जैन कवि। नीति काव्य सूं सम्बंधित सम्बोधन परंपरा री चावी रचना 'चकरिया रा सोरठा' रा रचैता।
मध्यकालीन जैन सैली रा कवि।
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