
मेवाड़
दक्षिण-पश्चिम राजस्थान जिण में आधुनिक उदयपुर संभाग अर उण रै असवाड़ै-पसवाड़ै रो छैतर आवै। प्राचीन काल में मेदपाट, प्राग्वाट अर शिवि आद नामां सूं जाणीजतौ।
दक्षिण-पश्चिम राजस्थान जिण में आधुनिक उदयपुर संभाग अर उण रै असवाड़ै-पसवाड़ै रो छैतर आवै। प्राचीन काल में मेदपाट, प्राग्वाट अर शिवि आद नामां सूं जाणीजतौ।
करणीदान कविया री सहोदरा, फुटकर काव्य रचना करी।
मेवाड़ री धरती सूं सम्बंधित प्रमुख डिंगल कवि। महाराणा प्रताप रा छोटा भाई शक्तिसिंह रे चरित्र माथे 'सगत रासो' नांव सूं चावे ग्रन्थ री रचना करी। रचनाकाल सतारवीं सदी रे लगैटगै।
ख्यातनांव जैन कवि। राजस्थानी अर गुजराती दोन्यूँ भासा रा जाणकार।
जोधपुर महाराजा अभयसिंह जी रा प्रमुख दरबारी कवि। 'सूरज प्रकास' नांव री महताऊ रचना रा रचनाकार।
आधुनिक काल रा शुरुआती कवि। डिंगल- पिंगल में समान रूप सूं लेखन। 'दुर्गादास चरित्र', 'प्रताप चरित्र' आद खास रचनावां।
'भीम विलास' अर 'रघुवरजस प्रकास रा सिरजक।
'महादेव पारवती री वेल' रा कवि।
मान जति नांव सूं चावा जैन जति (यति)। मेवाड़ महाराणा राजसिंह जी री प्रशस्ति में 'राज विलास' ग्रन्थ री रचना करी। मानसिंह या मान कवि नांव भी सुणन में आवै।
मध्यकाल रा अल्पज्ञात कवि।
बनेड़ा (मेवाड़) रा शासक। कवि हृदय अर संगीत मर्मज्ञ। 'सुर-तरंग' नाम रा प्रमुख संगीत ग्रन्थ रा रचैता।
मेवाड़ छेतर री संत कवयित्री। भक्ति, नीति, ज्ञान व मुक्ति सूं संबंधित रचनावां।
रामस्नेही संत संप्रदाय रै महात्मा रामचरण जी रा प्रमुख शिष्य। रचना संसार घणो लूंठो, 'अणभै बाणी' नाम सूं संकलित-प्रकाशित।
मेवाड़ रा सिरै भगत कवि अर योग साधक। भगती, मीमांसा, योगसार आद रा छंद, पद अर कवित्त खातर चावा।