Anjas

चारण शैली रा कवि

चारण कवि आपरी एक अलग शैली में साहित्य सिरजण करता अर वां री शैली 'चारण शैली' कहीजै। इण में चारणेतर कवि भी खूब रचनावां लिखी।

आसराव रतनू

आसराव रतनू

पंदरहवै सईकै रा नामचीन कवि अर कुशल जोधा। जैसलमेर रावळ दुर्जनसाल रा समकालीन अर सहयोगी ।

आयस देवनाथ

आयस देवनाथ

जोधपुर नरेश मानसिंह रा गुरु। आपरा समकालीन कवि रामदान लालस ने संबोधित कर'र 'रामला रा सोरठा' नांव री रचना करी। नाथ पंथ सूं सम्बंधित।

आशानंद बारहठ

आशानंद बारहठ

जोधपुर शासक राव मालदेव रा समकालीन अर राज आश्रित कवि। प्राकृत, संस्कृत अर डिंगल रा ज्ञाता। 'उमादे भटियाणी रा कवित्त' अर 'बाघजी रा दूहा' जैड़ी ठावकी रचनावां खातर चावा।

बादर ढाढ़ी

बादर ढाढ़ी

मध्यकाल रा चावा ऐतिहासिक काव्य ग्रन्थ वीरमायण (वीरवांण) रा रचैता। डिंगल रा प्रमुख चारणेतर कवि।

बखता खिड़िया

बखता खिड़िया

बखता खिडि़या उत्तरमध्यकाल रा चारण कवि हा।

बना बारहठ

बना बारहठ

मध्यकालीन चारण कवि। विसर काव्य रा फुटकर डिंगल गीत रचिया।

बांकीदास आशिया

बांकीदास आशिया

जोधपुर महाराजा मानसिंह रा काव्य गुरु। मध्यकाल रा सिरै डिंगल कवि अर 'आयो अंगरेज' जेड़ौ राष्ट्रीय चेतना परक गीत लिख'र देशी राजावां नें अंग्रेजां रे ख़िलाफ़ चेतावण वाळा पैला कवि। वीर, शृंगार, नीति, भक्ति आद सगळी धारवां में समान रूप सूं सृजन करियो।

बरजूबाई

बरजूबाई

करणीदान कविया री सहोदरा,फुटकर काव्य रचना करी।

बीठू सूजा

बीठू सूजा

बीकानेर रे मुन्जासर गाँव में जल्मियोड़ा वीर रस रा सांतरा कवि, जिका 'राव जैतसी रो छंद' नाम रे साहित्यिक अर ऐतिहासिक दीठ सूं घण महताऊ ग्रंथ री रचना करी।

भभूतदान

भभूतदान

जोधपुर महाराजा अजीतसिंह रा आश्रित। स्वाभिमानी प्रवृत्ति रा कवि। आपरी रचनावां में आश्रयदाता री प्रशस्ति कम अर ओळभा ज्यादा लिखिया।

बोहड़ बीठू

बोहड़ बीठू

बीकानेर रै साठीका गाँव में जलम। मध्यकाल रा चावा डिंगल कवि।

बुधजी आशिया

बुधजी आशिया

कविराजा बाँकीदास आशिया रा छोटा भाई। डिंगल- पिंगल रा प्रकाण्ड पण्डित अर जगत कवि री उपाधि सूं विभूषित। मयाराम दरजी नांव रा सेवक सूं रीझ'र 'दरजी मयाराम री बात' जैड़ी उच्च कोटि री रचना लिखी।

चंद बरदाई

चंद बरदाई

चौहान शासक पृथ्वीराज तृतीय सूं सम्बधिंत वीर अर सिणगार रस रै चावै ग्रन्थ 'पृथ्वीराज रासो' रा रचैता। जलम अर रचनाकाल बाबत विद्वानां रा न्यारा न्यारा मत।

चतुर्भुज बारहठ

चतुर्भुज बारहठ

किशनगढ़ राज्य निवासी, बारहठ शाखा रा चारण कवि। भगति रस रा मर्मस्पर्शी डिंगल गीतों रा रचैता।

चिमनजी कविया

चिमनजी कविया

अठारवीं सदी रा चावा डिंगल कवि अर विद्वान। 'सोढायण' अर 'हरिजस-मोख्यार्थी' जैड़ी घणी ठावकी रचनावां रा सिरजक। 'हरिजस-मोख्यार्थी' ज्ञान री निधि अर भारतीय दर्शन रो सार रूपी धर्म प्रतिनिधि ग्रंथ मानिजै।

चिमनजी दधवाङिया

चिमनजी दधवाङिया

गत सदी रा डिंगल कवियां में गिणावण जोग नांव। प्रसिद्धी रो आधार नीति रा सवैया जिका लोक जबान माथै अमर है।

दलपत बारहठ

दलपत बारहठ

नागौर रै इन्दोकली गाँव में जलम। पराक्रमी, विद्वान अर उदार होवण रै साथै निडर होय साच केवणिया कवि। पिता मार शासक बखतसिंह री निंदा में 'पितामार प्रकास' नांव री रचना लिखी। 'वर्णरक्षा विकार' अर 'चूक पच्चीसी' नांव री अन्य रचनांवा भी मिळै।

दलपत विजय

दलपत विजय

तपागच्छीय जैन साधु। मूल नांव दलपत हो, दीक्षा बाद दलपत विजय या दौलत विजय नांव सूं चावा होया। हिंदी रा विद्वान नवमीं सदी रा मानीया है पण वास्तविक समै सतरवीं सदी हो, रचित ग्रन्थ खुमाण रासौ में मेवाड़ रे बापा रावळ सूं लेय'र महाराणा राजसिंह तक रो वरणाव।

दयालदास सिंढायच

दयालदास सिंढायच

बीकानेर राज्य सूं सम्बंधित इतिहास ग्रन्थ दयालदास री ख्यात रा रचैता। अन्य चावी रचनावां में पंवार वंश दर्पण अर कई फुटकर डिंगल गीत, कवित्त, दूहा आद।

डूंगरसी रतनू

डूंगरसी रतनू

सतरवीं सदी रा डिंगल कवि। जलम भौम अर समै विषयक जाणकारी रो अभाव। फुटकर डिंगल गीतां खातर चावा।

Do you want to discard your changes?

You modified some filters. What would you like to do with these changes?