
मारवाड़
राजस्थान रो पश्चिमी भाग जिको प्राचीन काल में मरुभूमि या मरुभौम कहीजतौ, इण में आधुनिक जोधपुर संभाग अर बीकानेर संभाग रो कुछ हिस्सौ आवै।
राजस्थान रो पश्चिमी भाग जिको प्राचीन काल में मरुभूमि या मरुभौम कहीजतौ, इण में आधुनिक जोधपुर संभाग अर बीकानेर संभाग रो कुछ हिस्सौ आवै।
आचार्य भिक्षु जैन तेरापंथ धर्मसंघ रा संस्थापक अर पैला आचार्य हा। भिक्षु री रचनावां जैन धार्मिक शिक्षा अर तेरापंथ रा आचार विचार सूं सम्बंधित।
विश्नोई पंथ रै संस्थापक गुरु जांभोजी रा हुजूरी सिस्य अर गायन विद्या मांय अति निपुण संतकवि।
पंदरहवै सईकै रा नामचीन कवि अर कुशल जोधा। जैसलमेर रावळ दुर्जनसाल रा समकालीन अर सहयोगी ।
जोधपुर नरेश मानसिंह रा गुरु। आपरा समकालीन कवि रामदान लालस ने संबोधित कर'र 'रामला रा सोरठा' नांव री रचना करी। नाथ पंथ सूं सम्बंधित।
सिद्ध भक्त कवि,। गुरु जाम्भोजी रा प्रमुख शिष्य, आपरी रचनावां में जाम्भोजी ने विष्णु रा अवतार बताया। घणकरी फुटकर रचनावां इज मिळै। बेजोड़ कवित्त(छप्पय) रचण खातर चावा। जसराणा (नागौर) में जीवित समाधी ली।
जोधपुर शासक राव मालदेव रा समकालीन अर राज आश्रित कवि। प्राकृत, संस्कृत अर डिंगल रा ज्ञाता। 'उमादे भटियाणी रा कवित्त' अर 'बाघजी रा दूहा' जैड़ी ठावकी रचनावां खातर चावा।
रामसा पीर, आलम राजा, निकलंक नेजाधारी आद विरद धारी। राजस्थान रा चावा लोक देवता अर समाज सुधारक। द्वारकाधीश रा अवतार मानीजै। अछूतोध्दारक महापुरुषों में आगीवाण नांव।
मध्यकाल रा चावा ऐतिहासिक काव्य ग्रन्थ वीरमायण (वीरवांण) रा रचैता। डिंगल रा प्रमुख चारणेतर कवि।
मध्यकालीन चारण कवि। विसर काव्य रा फुटकर डिंगल गीत रचिया।
जोधपुर महाराजा मानसिंह रा काव्य गुरु। मध्यकाल रा सिरै डिंगल कवि अर 'आयो अंगरेज' जेड़ौ राष्ट्रीय चेतना परक गीत लिख'र देशी राजावां नें अंग्रेजां रे ख़िलाफ़ चेतावण वाळा पैला कवि। वीर, शृंगार, नीति, भक्ति आद सगळी धारवां में समान रूप सूं सृजन करियो।
बीकानेर रे मुन्जासर गाँव में जल्मियोड़ा वीर रस रा सांतरा कवि, जिका 'राव जैतसी रो छंद' नाम रे साहित्यिक अर ऐतिहासिक दीठ सूं घण महताऊ ग्रंथ री रचना करी।
जोधपुर महाराजा अजीतसिंह रा आश्रित। स्वाभिमानी प्रवृत्ति रा कवि। आपरी रचनावां में आश्रयदाता री प्रशस्ति कम अर ओळभा ज्यादा लिखिया।
बीकानेर रै साठीका गाँव में जलम। मध्यकाल रा चावा डिंगल कवि।
कविराजा बाँकीदास आशिया रा छोटा भाई। डिंगल- पिंगल रा प्रकाण्ड पण्डित अर जगत कवि री उपाधि सूं विभूषित। मयाराम दरजी नांव रा सेवक सूं रीझ'र 'दरजी मयाराम री बात' जैड़ी उच्च कोटि री रचना लिखी।
किशनगढ़ राज्य निवासी, बारहठ शाखा रा चारण कवि। भगति रस रा मर्मस्पर्शी डिंगल गीतों रा रचैता।
अठारवीं सदी रा चावा डिंगल कवि अर विद्वान। 'सोढायण' अर 'हरिजस-मोख्यार्थी' जैड़ी घणी ठावकी रचनावां रा सिरजक। 'हरिजस-मोख्यार्थी' ज्ञान री निधि अर भारतीय दर्शन रो सार रूपी धर्म प्रतिनिधि ग्रंथ मानिजै।
गत सदी रा डिंगल कवियां में गिणावण जोग नांव। प्रसिद्धी रो आधार नीति रा सवैया जिका लोक जबान माथै अमर है।
नागौर रै इन्दोकली गाँव में जलम। पराक्रमी, विद्वान अर उदार होवण रै साथै निडर होय साच केवणिया कवि। पिता मार शासक बखतसिंह री निंदा में 'पितामार प्रकास' नांव री रचना लिखी। 'वर्णरक्षा विकार' अर 'चूक पच्चीसी' नांव री अन्य रचनांवा भी मिळै।
बीकानेर राज्य सूं सम्बंधित इतिहास ग्रन्थ दयालदास री ख्यात रा रचैता। अन्य चावी रचनावां में पंवार वंश दर्पण अर कई फुटकर डिंगल गीत, कवित्त, दूहा आद।
जांभाणी साहित्य रा रचनाकारां मांय खास गिणावणजोग नांव। इणां री 'बुध परगास' अर 'कथा अहमनी' नांव री दो रचनावां मिळै।
You modified some filters. What would you like to do with these changes?