संत शैली रा कवि
संत अर भगत कवियां रो रचियोड़ौ साहित्य जिण मांय भगती, नीति अर उपदेश संबधी रचनावां मिळै, संत शैली कहीजै।
संत अर भगत कवियां रो रचियोड़ौ साहित्य जिण मांय भगती, नीति अर उपदेश संबधी रचनावां मिळै, संत शैली कहीजै।
आचार्य भिक्षु जैन तेरापंथ धर्मसंघ रा संस्थापक अर पैला आचार्य हा। भिक्षु री रचनावां जैन धार्मिक शिक्षा अर तेरापंथ रा आचार विचार सूं सम्बंधित।
मध्यकालीन राजस्थानी भगती काव्यधारा रा अज्ञात संत-कवि।
विश्नोई पंथ रै संस्थापक गुरु जांभोजी रा हुजूरी सिस्य अर गायन विद्या मांय अति निपुण संतकवि।
रामस्नेही रूपदास जी अवधूत रा सिष्य। गुरु रूपदास जी री जीवनी रा प्रामाणिक व्याख्याकार अर 'मुगति-विलास' ग्रंथ रा सिरजनकर्ता।
रामसा पीर, आलम राजा, निकलंक नेजाधारी आद विरद धारी। राजस्थान रा चावा लोक देवता अर समाज सुधारक। द्वारकाधीश रा अवतार मानीजै। अछूतोद्धारक महापुरुषों में आगीवाण नांव।
दादूदयाल रा प्रमुख बावन शिष्यां में सूं एक। कवि अर गायक संत रै रूप में चावा। पदां में सांप्रदायिक सदभाव रो प्रचार अर आत्म ज्योति जगावण माथै बल दियौ।
दादू पंथी संत सुन्दरदास जी (छोटा) रा शिष्य। रचनावां में भक्ति, नीति अर अध्यात्म शिक्षा रै साथै उपदेशां री व्यापकता।
मध्यकालीन जैन संत परम्परा रा कवि।
मध्यकाल रा जैन संत कवि अर भट्टारक वादिचन्द्र रा सिस्य।
मध्यकाल रा जैन संत।
जैन संत अर भट्टारक देवेन्द्रकीर्ति रा सिस्य।
मध्यकाल रा जैन संत कवि।
पन्द्रहवै सइकै रा प्रमुख जैन संत।
भट्टारक विजयकीर्ति रा सिस्य अर मध्यकाल रा विद्वान जैन संत।
भट्टारक रत्नकीर्ति रा खास सिस्यां मांय सूं अेक।
किशनगढ़ महाराजा राजसिंह री राणी। मूल नांव बृजकुँवारी। कृष्ण भक्ति में आस्था रै पांण 'भागवत' रो राजस्थानी में छन्दोबद्ध अनुवाद करियो। अन्य रचनावां भी मिळै।
हाङौती अंचळ सूं रामस्नेही संप्रदाय रा संत कवि। नाम सुमिरन, गुरु महिमा अर आत्म निवेदन री रचनावां खातर चावा।
दादू पंथी संत कवि। रचनावां में घणकरी ध्यान, धर्म अर गुरु महिमा सूं सम्बंधित।
राजस्थान में निर्गुण भगती धारा रा प्रमुख संत कवि। नरैना, जयपुर में गादी थापित कर'र आपरै नांव माथे दादू पंथ चलायो। नांव सुमिरण, समर्पण अर सर्व धर्म समभाव सूं सम्बंधित पदां खातर चावा।
मेवात रा चावा संत चरणदास जी री शिष्या अर भगत कवयित्री। समर्पण अर वैराग सूं सम्बंधित सिरजकां में आगली पांत में आवण वाळो नांव।
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