Anjas

ढूंढाड़

जयपुर जिलो अर उण रै असवाड़ै-पसवाड़ै रो छैतर। ढूंढ नदी रो बहाव छैतर होवण रै कारण ढूंढाड़ छैतर रै नाम सूं जाणीजै।

बखना जी

बखना जी

दादूदयाल रा प्रमुख बावन शिष्यां में सूं एक। कवि अर गायक संत रै रूप में चावा। पदां में सांप्रदायिक सदभाव रो प्रचार अर आत्म ज्योति जगावण माथै बल दियौ।

बालकराम

बालकराम

दादू पंथी संत सुन्दरदास जी (छोटा) रा शिष्य। रचनावां में भक्ति, नीति अर अध्यात्म शिक्षा रै साथै उपदेशां री व्यापकता।

बृजदासी रानी बांकावती

बृजदासी रानी बांकावती

किशनगढ़ महाराजा राजसिंह री राणी। मूल नांव बृजकुँवारी। कृष्ण भक्ति में आस्था रै पांण 'भागवत' रो राजस्थानी में छन्दोबद्ध अनुवाद करियो। अन्य रचनावां भी मिळै।

छीतरदास

छीतरदास

दादू पंथी संत कवि। रचनावां में घणकरी ध्यान, धर्म अर गुरु महिमा सूं सम्बंधित।

दादूदयाल

दादूदयाल

राजस्थान में निर्गुण भगती धारा रा प्रमुख संत कवि। नरैना, जयपुर में गादी थापित कर'र आपरै नांव माथे दादू पंथ चलायो। नांव सुमिरण, समर्पण अर सर्व धर्म समभाव सूं सम्बंधित पदां खातर चावा।

गरीबदास

गरीबदास

प्रमुख दादूपंथी संत कवि। रचनावां में भगती, नीति, गुरु महिमा, संत जीवण चरित अर दर्शन आद रा पद।

हिंगलाज दान कविया

हिंगलाज दान कविया

परवर्ती डिंगल कवियों में सिरै नांव कवि। वीररस रा अद्भुत डिंगल गीतां खातर चावा।

जगन्नाथदास

जगन्नाथदास

दादूपंथी संत कवि। अध्यात्म अर गुरु महिमा सूं सम्बंधित रचनावां।

महेश

महेश

चौहान शासक हमीर देव सूं सम्बंधित ग्रंथ 'हमीर रासो' रा रचैता। रचनाकाल अर कवि बाबत अन्य जाणकारी रो अभाव।

मोहनदास जी

मोहनदास जी

'मोहन पंथ' रा संस्थापक, अठारवीं सदी रा पुग्योड़ा महापुरुष अर संत कवि।

परशुराम

परशुराम

निम्बार्क संप्रदाय रा प्रमुख आचार्य अर 17वीं सदी रा ठावका संत कवि। रचनावां पिंगल भाषा में व सगुण-निरगुण विचार परंपरावां सूं समान रूप सूं प्रभावित।

रज्जब जी

रज्जब जी

बालपणै रो नाम रज्जब अली खाँ। परणीजण ने जावता समै दादूजी रै प्रभाव मे आय'र वैरागी बणिया अर उमर भर बींद वेश में रैया। रचनावां में राजस्थानी अर इस्लामिक साधनां रा शब्दां री अधिकता।

सुंदरदास जी

सुंदरदास जी

दादूजी रा शिष्य अर निर्गुण संत कवियों में सैं सूं ज्यादा शास्त्रज्ञानी व काव्य कला निपुण संत कवि। योग अर अद्वैत वेदांत रा समर्थक। काव्य रीतियों सूं आछी तरै परिचित रस सिद्ध कवि।

स्वामी रामचरण

स्वामी रामचरण

'रामस्नेही संप्रदाय' री शाहपुरा शाखा रा प्रवर्तक। मूरति पूजा रा विरोधी। साखी, सवैया, चंद्रायणा, झूलणा, कवित्त, कुंडलियां, रेखता आद छन्दां में भगती, नीति अर अध्यात्म रा पद रचिया।

वाजिद

वाजिद

पठान जाति सूं संबंधित। शिकार करतै टैम हिरदै परिवर्तन होयो अर सन्यास लेय'र दादू रा शिष्य बन गिया। लगभग 16 ग्रंथां री रचना करी, घणकारा पद दया अर उदारता रै भाव रा।

Do you want to discard your changes?

You modified some filters. What would you like to do with these changes?