Anjas

पिंगल धारा रा कवि

राजस्थानी अर ब्रज रो मिश्रित रूप। भगती अर सिणगार रो घणकरो काव्य इण में मिळै।

बृजदासी रानी बांकावती

बृजदासी रानी बांकावती

किशनगढ़ महाराजा राजसिंह री राणी। मूल नांव बृजकुँवारी। कृष्ण भक्ति में आस्था रै पांण 'भागवत' रो राजस्थानी में छन्दोबद्ध अनुवाद करियो। अन्य रचनावां भी मिळै।

बुद्धसिंह हाड़ा

बुद्धसिंह हाड़ा

बूंदी रा शासक। पिंगल रा रीतिकालीन सिरै आचार्य कवि।

चंद बरदाई

चंद बरदाई

चौहान शासक पृथ्वीराज तृतीय सूं सम्बधिंत वीर अर सिणगार रस रै चावै ग्रन्थ 'पृथ्वीराज रासो' रा रचैता। जलम अर रचनाकाल बाबत विद्वानां रा न्यारा न्यारा मत।

दलपत विजय

दलपत विजय

तपागच्छीय जैन साधु। हिंदी रा विद्वान नवमीं सदी रा मानीया है पण वास्तविक समै सतरवीं सदी। रचित ग्रन्थ खुमाण रासौ में मेवाड़ रे बापा रावळ सूं लेय'र महाराणा राजसिंह तक रो वरणाव।

केसरीसिंह बारहठ

केसरीसिंह बारहठ

राजस्थान रा सिरै क्रन्तिकारी कवि। महाराणा फतेहसिंह नै दिल्ली दरबार में जावण सूं रोकण खातर 13 सोरठा रचिया जिका 'चेतावणी रा चुंघटिया' नांव सूं चावा। आजादी रा हवन में समुचौ परिवार होम दियौ।

महाराजा अजीत सिंह

महाराजा अजीत सिंह

जोधपुर रा शासक। काव्य रसिक अर परोपकारी राजा रै रूप में चावा। 'गज उद्धार' नांव रै भगती ग्रंथ रा रचैता।

मानसिंह

मानसिंह

मान जति नांव सूं चावा जैन जति (यति)। मेवाड़ महाराणा राजसिंह जी री प्रशस्ति में 'राज विलास' ग्रन्थ री रचना करी। मानसिंह या मान कवि नांव भी सुणन में आवै।

नागरीदास

नागरीदास

किशनगढ़ रा शासक, मूल नांव सावंत सिंह। भक्ति-भाव री रचनावां करी।

नरहरिदास बारहठ

नरहरिदास बारहठ

जोधपुर नरेश गजसिंह जी रा समकालीन अर आश्रित कवि। पिंगल में 'अवतार चरित्र' नांव रै घण चावै ग्रंथ री रचना, जिय में चौबीस अवतारां रो विगत वार वरणाव।

प्रताप बाला

प्रताप बाला

जोधपुर महाराजा तखत सिंह जी री महाराणी। धणी, बेटा आद री अकाळ मौत बाद संसार सूं विरक्त होय भगती में लीन। कृष्ण भगती रा पद रच्या।

राजा मानसिंह

राजा मानसिंह

जोधपुर रा महाराजा। नाथ पंथ में आस्था। रीति, सिणगार अर वीररस रा गीत भी मिळै।

सरदार सिंह

सरदार सिंह

बनेड़ा (मेवाड़) रा शासक। कवि हृदय अर संगीत मर्मज्ञ। 'सुर-तरंग' नाम रा प्रमुख संगीत ग्रन्थ रा रचैता।

शंकर राव

शंकर राव

चंद बरदाई री वंश परम्परा में जलम। राठ अंचल रा चौहान वंश सूं सम्बंधित ऐतिहासिक काव्य ग्रन्थ 'भीम-विलास' रा रचैता।

शिवबक्ष पाल्हावत

शिवबक्ष पाल्हावत

अलवर शासक मंगलसिंह रा आश्रित कवि। खड़ी बोली में अलवर रो इतिहास लिख्यो। 'वृन्दावन शतक' अर 'अलवर री खट रितु झमाल' आद चावी रचनावां।

सुंदर कुंवरी बाई

सुंदर कुंवरी बाई

किशनगढ़ री राजकुंवरी अर चावा भगत कवि नागरीदास री बहन। कविता रा संस्कार बापौती में मिळ्या। कविताओं में भगती री प्रधानता। वीर रस रा पद भी मिळे।

सूर्यमल्ल मीसण

सूर्यमल्ल मीसण

बूंदी रा राजकवि। 'वीररसावतार' रे रूप में चावा। डिंगल में ओज सूं ओतप्रोत 'वीर सतसई' अर पिंगल में 'वंश भास्कर' जैड़े वृहद ग्रंथ रा रचनाकार। 'राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी' रो सिरै पुरस्कार इणां रे नांव माथै देइजै।

स्वामी स्वरूपदास देथा

स्वामी स्वरूपदास देथा

डिंगल, पिंगल, संस्कृत रा प्रकाण्ड पंडित अर वेदान्त रा प्रखर जाणकार। 'पाण्डव यशेंदु चन्द्रिका' नांव री चावी रचना जो कि राजस्थानी महाभारत कहिजै।

तखतसिंह

तखतसिंह

जोधपुर रा शासक। भगति अर सिणगार रा पदों रा सिरजक।

उम्मेदराम बारहठ

उम्मेदराम बारहठ

अलवर महाराजा बख्तावर सिंह रा आश्रित कवि। डिंगल व पिंगल दोन्यू धारावां में समान रूप सूं काव्य सिरजण। 'वाणी भूषण', 'राजनीती चाणक्य', 'अवध पच्चीसी', 'मिथिला पच्चीसी', 'जनक शतक' आद रचनावां अर 'बिहारी सतसई' व 'कविप्रिया' रा टीकाकार रै रूप में चावा।

Do you want to discard your changes?

You modified some filters. What would you like to do with these changes?