हाड़ौती
पूर्वी राजस्थान जिण में वर्तमान कोटा संभाग आवै। प्राचीनकाल मे हाड़ा चौहान शासकों रै अधीन होवण रै कारण हाड़ौती कहीजतौ।
पूर्वी राजस्थान जिण में वर्तमान कोटा संभाग आवै। प्राचीनकाल मे हाड़ा चौहान शासकों रै अधीन होवण रै कारण हाड़ौती कहीजतौ।
बूंदी रा शासक। पिंगल रा रीतिकालीन सिरै आचार्य कवि।
हाङौती अंचळ सूं रामस्नेही संप्रदाय रा संत कवि। नाम सुमिरन, गुरु महिमा अर आत्म निवेदन री रचनावां खातर चावा।
मूळरूप सूं सुतंतरता सेनानी। जनजागरण सारु रचनाकर्म।
चावा कवि-गीतकार।
रामस्नेही संप्रदाय री शाहपुरा शाखा सूं सम्बंधित। हाड़ौती अंचल रा प्रमुख संत कवि। रचनावां में घणकरी भगती, नीति अर गुरु महिमा रै भाव री।
जलम नाम प्रताप सिंह। खीची राजवंश सू सम्बंधित अर गागरौन रा शासक। रामानंद जी सूं दीक्षा लेयर राजस्थान मांय निर्गुण भक्ति परंपरा री शुरुआत करी। दरजी समुदाय रा आराध्य रे रूप में पूजीजे।
गागरौन रा शासक अचलदास खिची रा राजकवि। 'अचलदास खिची री वचनिका' जैड़ी महताऊ रचना रो सिरजण जिणमें अचलदास अर मांडू रा सुल्तान रै बीचे होयोड़ै युद्ध रो ओजस्वी वरणाव। वचनिका शैली री रचनावां में अचलदास खिची री वचनिका भाव, भाषा अर मौलिकता रै पांण राजस्थानी साहित्य में 'मील रो पत्थर' मानिजै।
बूंदी रा राजकवि। 'वीररसावतार' रे रूप में चावा। डिंगल में ओज सूं ओतप्रोत 'वीर सतसई' अर पिंगल में 'वंश भास्कर' जैड़े वृहद ग्रंथ रा रचनाकार। 'राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी' रो सिरै पुरस्कार इणां रे नांव माथै देइजै।
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