मेवात
उत्तर-पूर्वी राजस्थान रो हरियाणा सूं लागतो भाग जिण में अलवर जिलो अर धौलपुर रो कुछ भाग आवै। प्राचीन काल में मेव जाति रै बहुल्य रै कारण मेवात कहीज्यौ।
उत्तर-पूर्वी राजस्थान रो हरियाणा सूं लागतो भाग जिण में अलवर जिलो अर धौलपुर रो कुछ भाग आवै। प्राचीन काल में मेव जाति रै बहुल्य रै कारण मेवात कहीज्यौ।
मेवात रा चावा संत चरणदास जी री शिष्या अर भगत कवयित्री। समर्पण अर वैराग सूं सम्बंधित सिरजकां में आगली पांत में आवण वाळो नांव।
अलवर महाराजा प्रताप सिंह जी सूं सम्बंधित ग्रंथ 'प्रताप रासो' रा रचैता। कवि सूं संबंधित अन्य जाणकारी रो अभाव।
'चरणदासी पंथ' रा संस्थापक चरणदास जी री शिष्या अर मेवात छैतर सूं संबंधित चावी संत कवयित्री।
राजस्थानी संत साहित्य रा उजळा रत्न, मेवात क्षेत्र रा ख्यात संत कवि अर 'चरणदासी संप्रदाय' रा प्रवर्तक। सगुण अर निर्गुण दोनूं तरै रे ब्रह्म रा उपासक। साहित्य में भी निर्गुण उपासना सागै सगुण साधना री झलक निंगै आवै।
चंद बरदाई री वंश परम्परा में जलम। राठ अंचल रा चौहान वंश सूं सम्बंधित ऐतिहासिक काव्य ग्रन्थ 'भीम-विलास' रा रचैता।
अलवर शासक मंगलसिंह रा आश्रित कवि। खड़ी बोली में अलवर रो इतिहास लिख्यो। 'वृन्दावन शतक' अर 'अलवर री खट रितु झमाल' आद चावी रचनावां।
अलवर महाराजा बख्तावर सिंह रा आश्रित कवि। डिंगल व पिंगल दोन्यू धारावां में समान रूप सूं काव्य सिरजण। 'वाणी भूषण', 'राजनीती चाणक्य', 'अवध पच्चीसी', 'मिथिला पच्चीसी', 'जनक शतक' आद रचनावां अर 'बिहारी सतसई' व 'कविप्रिया' रा टीकाकार रै रूप में चावा।
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