
वागड़ संभाग
दक्षिण राजस्थान रा डूंगरपुर-बांसवाड़ा जिला अर वांरै असवाड़ै-पसवाड़ै रो गुजरात सूं लागतौ छैतर।
दक्षिण राजस्थान रा डूंगरपुर-बांसवाड़ा जिला अर वांरै असवाड़ै-पसवाड़ै रो गुजरात सूं लागतौ छैतर।
रामस्नेही संत संप्रदाय रै शाहपुरा, भीलवाड़ा पीठ रा संत रूपदास जी अवधूत रा सिष्य। गुरु रूपदास जी री जीवनी रा प्रामाणिक व्याख्याकार अर मुगति - विलास ग्रंथ रा सिरजनकर्ता।
रचनावां में वागड़ अंचल री मठोठ। कवि सम्मेलनां में निरवाळी छाप। राजस्थान साहित्य अकादमी रो सनमान।
वागड़ री मीरां रै नांव सूं ओळखीजै। रचनावां में ज्ञान, भगती अर वैराग री महिमा बताइज्योड़ी है। भाषा राजस्थानी जिण में ब्रज, गुजराती अर संस्कृत रा शब्द भी निंगै आवै।
वागड़ अंचल रा चावा कवि।
वागड़ी रा चावा कवि।
संत कवि अर समाज सुधारक। अवतारी पुरुष रै रूप में पुजीजै। निष्कलंकी संप्रदाय रा संस्थापक। रचनावां अर शिक्षावां रो संग्रै 'चौपड़ो' कहिजै।
आदिकाल रा सिरै वीर कवि। 'रणमल छंद' नांव री महताऊ कृति रा सिरजक रै रूप में चावा। दुर्गा सप्तशती नांव री एक अन्य रचना भी मिले।
साहित्य में ‘वागडी’ रंग। छंदा में खासी रूची। ‘जनक छंद का कोशिकृत कवि’, ‘माही छंद का जनक’ पोथ्यां इण बात री साख भरै।
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