दलपत बारहठ

नागौर रै इन्दोकली गाँव में जलम। पराक्रमी, विद्वान अर उदार होवण रै साथै निडर होय साच केवणिया कवि। पिता मार शासक बखतसिंह री निंदा में 'पितामार प्रकास' नांव री रचना लिखी। 'वर्णरक्षा विकार' अर 'चूक पच्चीसी' नांव री अन्य रचनांवा भी मिळै।