वियोग पर गीत

वियोग संयोग के अभाव

या मिलाप न होने की स्थिति और भाव है। शृंगार में यह एक रस की निष्पत्ति का पर्याय है। माना जाता है कि वियोग की दशा तीन प्रकार की होती है—पूर्वराग, मान और प्रवास। प्रस्तुत चयन में वियोग के भाव दर्शाती कविताओं का संकलन किया गया है।

गीत17

सावण में नी आवड़ै

किशोर कल्पनाकान्त

बीत्या जावै साल

राम नारायण मीणा ‘हलधर’

गीत

रघुराजसिंह हाड़ा

चाडिए-चुगलियाँ

आभा मेहता 'उर्मिल'

जियौ नहीं लागै रे

शकुन्तला सरूपरिया

पपइयो बोलै रै

सोनी सांवरमल

आंसू क्यूं बरसावै?

किशोर कल्पनाकान्त

बिदाई

प्रभात

नैणा सूँ हेला

राम नारायण मीणा ‘हलधर’

बिणजारा रो गीत

त्रिलोक गोयल

क्यूं बुहावै बावळी

किशोर कल्पनाकान्त

आंसू कहाणी

किशोर कल्पनाकान्त

बरसो रे

किशोर कल्पनाकान्त

बिरह

पूजाश्री

माणीगर आवै है

किशोर कल्पनाकान्त

हूक

गजानन वर्मा