वियोग पर गीत

वियोग संयोग के अभाव

या मिलाप न होने की स्थिति और भाव है। शृंगार में यह एक रस की निष्पत्ति का पर्याय है। माना जाता है कि वियोग की दशा तीन प्रकार की होती है—पूर्वराग, मान और प्रवास। प्रस्तुत चयन में वियोग के भाव दर्शाती कविताओं का संकलन किया गया है।

गीत9

बीत्या जावै साल

राम नारायण मीणा ‘हलधर’

जियौ नहीं लागै रे

शकुन्तला सरूपरिया

पपइयो बोलै रै

सोनी सांवरमल

बिदाई

प्रभात

नैणा सूँ हेला

राम नारायण मीणा ‘हलधर’

बिणजारा रो गीत

त्रिलोक गोयल

हूक

गजानन वर्मा