वियोग पर दूहा

वियोग संयोग के अभाव

या मिलाप न होने की स्थिति और भाव है। शृंगार में यह एक रस की निष्पत्ति का पर्याय है। माना जाता है कि वियोग की दशा तीन प्रकार की होती है—पूर्वराग, मान और प्रवास। प्रस्तुत चयन में वियोग के भाव दर्शाती कविताओं का संकलन किया गया है।

दूहा25

विरह रा दूहा

कुलदीप सिंह इण्डाली

पुरुष विरह रस रा दूहा

बंशीलाल सोलंकी

भांत भांत री बात है

भागीरथसिंह भाग्य

लोग न जाणै कायदा

भागीरथसिंह भाग्य

काळी कोसां आंतरै

भागीरथसिंह भाग्य

पाती लेज्या डाकिया

भागीरथसिंह भाग्य

जे म्हैं होती बादळी

बंशीलाल सोलंकी

बेली तरसै गाँव मँ

भागीरथसिंह भाग्य

चैत चुरावै चित्त नै

भागीरथसिंह भाग्य

घर, गळियारा, सायना

भागीरथसिंह भाग्य

जीवण जोबन अंत

बाबूलाल शर्मा

सिंणगार रा दूहा

गुमानसिंह शेखावत