दीवाळी पर कवितावां

दिवाली या दीपावली हिंदुओं

का एक प्रमुख पर्व है। इसे अँधेरे पर उजाले की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। प्रस्तुत चयन इन दोनों ही आशयों के इर्द-गिर्द दीप जलाती कविताओं से किया गया है।

कविता18

म्हानै याद है

अजय कुमार सोनी

म्हूंत ई'ज जाणतो तो के

शैलेन्द्र उपाध्याय

त्यूंहार

राजेन्द्र गौड़ 'धूळेट'

कैवी दीवारी कैवी होरी

द्वारिका वल्लभ जोशी

आप री आप जाणों

अजय कुमार सोनी

अन्दारू

अरविन्द पण्ड्या

ताजिया रा चितराम

राजेन्द्र जोशी

मेऽरियूऽऽऽ

शैलेन्द्र उपाध्याय

गीत

उपेन्द्र अणु

हिवड़ै री जोत जगाती जा

जवानमल पुरोहित

मेरियू

प्रकाश प्रतीक

मन री दीवाली

अमर सिंह राजपुरोहित

दीवो : तीन चितराम

रचना शेखावत

दीवाळी री सीख

हरिदास हर्ष

आदमी बरद बणी ने रई ग्यो

घनश्याम प्यासा

कीकर धोकै आज दिवाळी

संतोष कुमार पारीक