भारतीय जन-मानस नै

दु:ख दाल स्यूं

बा’र निकलनै री

कोसिस करतां

देखणो होवै तो

देखै कोई

दीवाळी रै दिन

पटाकां मीठाइयां री

दुकानां रो तो

कैणो ही के

सब्जी आळी दुकानां तक

देखी जै

भीड़।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : निशान्त ,
  • संपादक : श्याम महर्षि
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