वैवार पर कवितावां

वैवार सबद लोक में सांवठौ

अनै प्रतिबद्ध अर्थ राखै। वैवार सूं लोक रा आचार बणै अर बिगड़ै। अठै प्रस्तुत रचनावां वैवार रै वैवार माथै केन्द्रित है।

कविता144

मार्क्स

शिव बोधि

कोराना रो कहर

रामाराम चौधरी

म्हारी उमर

रामाराम चौधरी

राजस्थानी बातां

रामाराम चौधरी

आप री आप जाणों

अजय कुमार सोनी

इणां रै चायां

विनोद सोमानी 'हंस'

खतरौ घणौ है दुणिया माय

शकुंतला अग्रवाल 'शकुन'

नीसांणी

ठाकुर प्रेमसिंह ऊदावत

हेत प्रीत री हथाई

नाथूसिंह इंदा

अडाणैं रो इतियास

रवि पुरोहित

गांवां री हेल्यां

मोनिका शर्मा

तीन कवितावां

जबरनाथ पुरोहित

घसूल्या

राजेन्द्र गौड़ 'धूळेट'

अनुभवां री लाठी

प्रियंका भट्ट

गरीब

सत्यनारायण ‘सत्य’

मन की गांठ्यां खोल

प्रीतिमा ‘पुलक’

आव अभिमन्यु आज रा

राजेन्द्र बोहरा

बईयाल

आनन्द जगाणी

जिग्यां

मनोज कुमार स्वामी

हार-जीत

महेंद्र कुमार मोहता

सहीद री व्यथा

फारूक़ आफरीदी

परिणाम मिळैला

जेठानंद पंवार

आ तो होवणी ई ही

देवकरण जोशी 'दीपक'

लेखो

राजेनंद्र शेखावत

बाजबा लाग्यौ तातौ-तातौ बायरौ

शकुंतला अग्रवाल 'शकुन'

क्यूं

हरीश हैरी

मि. नाथ

सत्यप्रकाश जोशी

बोलो

सत्यप्रकाश जोशी

धणी

चेतन स्वामी

मोसमी कूकड़ा

मोहम्मद सदीक

बहरूपियो

रामकुमार भाम्भू

जगत रो मिजाज

रेणुका व्यास 'नीलम'

बगतो जळ

धनपत स्वामी

चेतन आदमी

अजय कुमार सोनी

आख्यां री जलमघूंट

भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’

भटकाया

मुखराम माकड़ ‘माहिर’

हेत री गंगा

जेठानंद पंवार

किसान अर जुवान

सोनी सांवरमल

खोटी कमाई

जयनारायण व्यास

भाटा

पूनमचंद गोदारा

मोकळी बात

नगेन्द्र नारायण किराडू

पुरुष ज्यूं है पेटरोल

अमर सिंह राजपुरोहित

सोरो-दोरो

श्रीनिवास तिवाड़ी

सैंधा-सा उणियारा

आशीष पुरोहित

पगैलागणा

यादवेन्द्र शर्मा चन्द्र

अणख

लालचन्द मानव

राजहंसां रो देसूंटो

सुमेरसिंह शेखावत