वैवार पर कवितावां

वैवार सबद लोक में सांवठौ

अनै प्रतिबद्ध अर्थ राखै। वैवार सूं लोक रा आचार बणै अर बिगड़ै। अठै प्रस्तुत रचनावां वैवार रै वैवार माथै केन्द्रित है।

कविता181

मार्क्स

शिव बोधि

राजस्थानी बातां

रामाराम चौधरी

म्हूं के बोलूं

अखिलेश्वर

म्हारी उमर

रामाराम चौधरी

कोराना रो कहर

रामाराम चौधरी

छिपकल्यां

नंदकिशोर सोमानी ‘स्नेह'

कठै सूं लावू?

सिया चौधरी

जका बखत नै सैसी

वासु आचार्य

बड़बोल्यो

कैलाश मंडेला

मन री गांठां

कमला जैन

आसा सूं मुलाकात...

रामजीवण सारस्वत ‘जीवण’

कारज

रमेश मयंक

सगती लछमी सार

ब्रजनारायण पुरोहित

परदेसी

सोनी सांवरमल

जगावण री बात कर

श्याम निर्मोही

कांकर

मोनिका गौड़

कसक

किरण बाला 'किरन'

बंस

मणि मधुकर

प्रेम

कुलदीप पारीक 'दीप'

जमानौ बदळ ग्यौ

छगनराज राव 'दीप'

मन री बातां

मेघराज मुकुल

सगपण

ओम नागर

सावळ कोनीं

राजेन्द्र बारहठ

मुरधर केवै

घनश्याम लाल रांकावत

कर्म रै बिना

महेन्द्रसिंघ महलान

पाछौ कुण आसी...

नीरज दइया

सराध

कालू खां

बात कठे

कृष्णा आचार्य

माउ तरेसा कै माउ तरैसी

ब्रज नारायण कौशिक

रंगायेला हेंयार

नीता चौबीसा

कुण मांनै

फतहलाल गुर्जर 'अनोखा'

सीख

रामजीलाल घोड़ेला 'भारती'

चुड़लौ

विवेकदीप बौद्ध

धणी

चेतन स्वामी

मोसमी कूकड़ा

मोहम्मद सदीक

बहरूपियो

रामकुमार भाम्भू

कीड़ी

अशोक परिहार 'उदय'

जगत रो मिजाज

रेणुका व्यास 'नीलम'

बगतो जळ

धनपत स्वामी

मन रा तार

कैलाश मंडेला

म्हूं बिणजारो

नन्दकिशोर चतुर्वेदी

चेतन आदमी

अजय कुमार सोनी

आख्यां री जलमघूंट

भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’

भटकाया

मुखराम माकड़ ‘माहिर’

हेत री गंगा

जेठानंद पंवार

अतीत

ज़ेबा रशीद

जागण री वेळा

मेघराज मुकुल

किसान अर जुवान

सोनी सांवरमल