वैवार पर छप्पय

वैवार सबद लोक में सांवठौ

अनै प्रतिबद्ध अर्थ राखै। वैवार सूं लोक रा आचार बणै अर बिगड़ै। अठै प्रस्तुत रचनावां वैवार रै वैवार माथै केन्द्रित है।

छप्पय1

छप्पय करणी जी रो

कुलदीप सिंह इण्डाली