वैवार पर गीत

वैवार सबद लोक में सांवठौ

अनै प्रतिबद्ध अर्थ राखै। वैवार सूं लोक रा आचार बणै अर बिगड़ै। अठै प्रस्तुत रचनावां वैवार रै वैवार माथै केन्द्रित है।

गीत15

हींडौ

आशारानी लखोटिया

जाग्यां पार पड़ैला

भागीरथसिंह भाग्य

मेघा आव रे

भीम पांडिया

दयोराणी

सोनी सांवरमल

म्हारौ गांव

आशारानी लखोटिया

अेक थैली रा अै चट्टा बट्टा

कुलदीप पारीक 'दीप'

बौ ई सागी

किशोर कल्पनाकान्त

चौमासो आयो रे

आशारानी लखोटिया

जगत रा देख उजब दरसाव

आईदान सिंह भाटी

पर्यावरण गीत

उपेन्द्र अणु

रुत अलबेली

गजानन वर्मा

थळवट री झमाळ

शक्तिदान कविया

आज थारी आस आधी

शांति भारद्वाज 'राकेश'

मरुधर देस

कालूराम प्रजापति 'कमल'