वैवार पर काव्य खंड

वैवार सबद लोक में सांवठौ

अनै प्रतिबद्ध अर्थ राखै। वैवार सूं लोक रा आचार बणै अर बिगड़ै। अठै प्रस्तुत रचनावां वैवार रै वैवार माथै केन्द्रित है।

काव्य खंड2

लोकवाणी

हेमचंद्र सूरि

मावड़िया मिजाज

बांकीदास आशिया