किरसै पर कवितावां

किसान सबद रा अलेखूं

सरूप है। खेतिहर या पछै जमीं बावणियौ किसान अलग व्है, जकै कनै आपरी जमीं व्है वा किसान अलग। पण अठै संकलित रचनावां फगत लोक मुजब 'जमींदार' सबद नै छोड़'र किसान सबद रै सगळां सरुपां नै पूरा करै।

कविता80

स्वाद

आईदान सिंह भाटी

सांझ-सुंदरी

महेंद्रसिंह छायण

किरसौ

डालेश पारीक 'मतवाला'

ढाणी

देवीलाल महिया

करसाण

शिव 'मृदुल'

फांदो

विनोद भट्ट

बांध पगां में घूघरा

त्रिलोक शर्मा

ऊपरमाळ

मोहन पुरी

भरोसो

अनिल अबूझ

करसौ

पूजाश्री

निनाण

महावीर प्रसाद जोसी

कागद रै खेत

हनुमान प्रसाद 'बिरकाळी'

दस दात : 7. मोठ

नानूराम संस्कर्ता

दुखड़ो किसान रो

प्रभुदयाल मोठसरा

बिरखा

विप्लव व्यास

पीड़ काळज्यै री

प्रहलादराय पारीक

मार्क्स

शिव बोधि

किरसो

हरीश सुवासिया

निजर

जगदीशनाथ भादू 'प्रेम'

प्रगतिशीलता रै सारै एक होवो

हनुमानसिंह पूनिया

धोरां री धरती

हरिदास हर्ष

बेरुत रो मेह

पृथ्वी परिहार

जावतो रैयो बंजरपणो

संदीप 'निर्भय'

माटी थनै बोलणौ पड़सी

रेवतदान कल्पित

चाल रै चाल

हरीश भादानी

चौमासु (सौमासु)

कैलाश गिरि गोस्वामी

बारी आळी रात

मदन गोपाल लढ़ा

छपरो

पवन सिहाग 'अनाम'

दस दात : 5. मामोलिया

नानूराम संस्कर्ता

'अे' अर 'वे'

जबरनाथ पुरोहित

दस दात : 6. मतीरो

नानूराम संस्कर्ता

आंसू बैवावतो किसान

राजेन्द्र जोशी

नवीं जिन्दगी

गणपतिचन्द्र भंडारी

सीव अर पीड़

गौरी शंकर निम्मीवाल

जतन

सुनील गज्जाणी

रोटी अर म्हैं

शैलेन्द्र सिंह नूंदड़ा

चेत मांनखा

रेवतदान कल्पित

आषाढी बिरखा

नंदू राजस्थानी

किरसाण-जुवान

रतना ‘राहगीर’

बस्ती

मदन गोपाल लढ़ा

सिसर

नारायण सिंह भाटी

बीघोड़ी

रेवतदान कल्पित

माटी रा रंगरेज

रेवतदान कल्पित

काळ

रामस्वरूप किसान

रेत सूं आस

ऋतु शर्मा

मूँ बापड़ौ

मोड़ सिंघ बल्ला ‘मृगेन्द्र’

गांव

विश्वनाथ शर्मा विमलेश