किरसै पर कवितावां

किसान सबद रा अलेखूं

सरूप है। खेतिहर या पछै जमीं बावणियौ किसान अलग व्है, जकै कनै आपरी जमीं व्है वा किसान अलग। पण अठै संकलित रचनावां फगत लोक मुजब 'जमींदार' सबद नै छोड़'र किसान सबद रै सगळां सरुपां नै पूरा करै।

कविता85

मार्क्स

शिव बोधि

स्वाद

आईदान सिंह भाटी

सांझ-सुंदरी

महेंद्रसिंह छायण

करसाण

शिव 'मृदुल'

ढाणी

देवीलाल महिया

किरसौ

डालेश पारीक 'मतवाला'

काळ

रामस्वरूप किसान

रेत सूं आस

ऋतु शर्मा

मूँ बापड़ौ

मोड़ सिंघ बल्ला ‘मृगेन्द्र’

किरसो

हरीश सुवासिया

निजर

जगदीशनाथ भादू 'प्रेम'

प्रगतिशीलता रै सारै एक होवो

हनुमानसिंह पूनिया

धोरां री धरती

हरिदास हर्ष

बेरुत रो मेह

पृथ्वी परिहार

जावतो रैयो बंजरपणो

संदीप 'निर्भय'

माटी थनै बोलणौ पड़सी

रेवतदान चारण कल्पित

चाल रै चाल

हरीश भादानी

चौमासु (सौमासु)

कैलाश गिरि गोस्वामी

बारी आळी रात

मदन गोपाल लढ़ा

छपरो

पवन सिहाग 'अनाम'

दस दात : 5. मामोलिया

नानूराम संस्कर्ता

'अे' अर 'वे'

जबरनाथ पुरोहित

दस दात : 6. मतीरो

नानूराम संस्कर्ता

आंसू बैवावतो किसान

राजेन्द्र जोशी

नवीं जिन्दगी

गणपतिचन्द्र भंडारी

सीव अर पीड़

गौरी शंकर निम्मीवाल

जतन

सुनील गज्जाणी

रोटी अर म्हैं

शैलेन्द्र सिंह नूंदड़ा

चेत मांनखा

रेवतदान चारण कल्पित

खेत

संजू श्रीमाली

आषाढी बिरखा

नंदू राजस्थानी

किरसाण-जुवान

रतना ‘राहगीर’

बस्ती

मदन गोपाल लढ़ा

सिसर

नारायण सिंह भाटी

कुण जमीन रो धणी?

कन्हैयालाल सेठिया

बीघोड़ी

रेवतदान चारण कल्पित

माटी रा रंगरेज

रेवतदान चारण कल्पित

हरावळ में किरसांण कांमेती

रेवतदान चारण कल्पित

गांव

विश्वनाथ शर्मा विमलेश

ऊँघ भरी छ खेत क

गौरीशंकर 'कमलेश'

आँच ही आँच

मोहम्मद सदीक

किसान अर जुवान

सोनी सांवरमल

किसान अर मजूर

प्रियंका भारद्वाज

रामजी सूं ओळमौ

जयनारायण व्यास

म्हैं अन्नदाता कोनी

रामस्वरूप किसान