किरसै पर कवितावां

किसान सबद रा अलेखूं

सरूप है। खेतिहर या पछै जमीं बावणियौ किसान अलग व्है, जकै कनै आपरी जमीं व्है वा किसान अलग। पण अठै संकलित रचनावां फगत लोक मुजब 'जमींदार' सबद नै छोड़'र किसान सबद रै सगळां सरुपां नै पूरा करै।

कविता59

ढाणी

देवीलाल महिया

किरसौ

डालेश पारीक 'मतवाला'

रेत सूं आस

ऋतु शर्मा

गांव

विश्वनाथ शर्मा विमलेश

पग मंडणा

रेवतदान कल्पित

किसान अर जुवान

सोनी सांवरमल

किसान अर मजूर

प्रियंका भारद्वाज

म्हैं अन्नदाता कोनी

रामस्वरूप किसान

दस दात : 1. जाट-किसाण मानव

नानूराम संस्कर्ता

सोयां अबै सरै नीं

राजू सारसर 'राज'

बेरुत रो मेह

पृथ्वी परिहार

जावतो रैयो बंजरपणो

संदीप 'निर्भय'

माटी थनै बोलणौ पड़सी

रेवतदान कल्पित

चाल रै चाल

हरीश भादानी

चौमासु (सौमासु)

कैलाश गिरि गोस्वामी

बारी आळी रात

मदन गोपाल लढ़ा

छपरो

पवन सिहाग 'अनाम'

दस दात : 5. मामोलिया

नानूराम संस्कर्ता

दस दात : 6. मतीरो

नानूराम संस्कर्ता

आंसू बैवावतो किसान

राजेन्द्र जोशी

सीव अर पीड़

गौरीशंकर

जतन

सुनील गज्जाणी

रोटी अर म्हैं

शैलेन्द्र सिंह नूंदड़ा

चेत मांनखा

रेवतदान कल्पित

आषाढी बिरखा

नंदू राजस्थानी

बस्ती

मदन गोपाल लढ़ा

सिसर

नारायण सिंह भाटी

बीघोड़ी

रेवतदान कल्पित

माटी रा रंगरेज

रेवतदान कल्पित

मार्क्स

शिव बोधि

सांझ-सुंदरी

महेंद्रसिंह छायण

फरक

किशोर कुमार निर्वाण

परूडा नी वात

छगन लाल नागर

मिनख नै समझावणी दोरौ है

नारायण सिंह भाटी

फोफळियो

जगदीशनाथ भादू 'प्रेम'

म्हारी भी सुणो

उर्मिला औदीच्य

स्वाद

आईदान सिंह भाटी

खाथो चाल रे

हरीश भादानी

धणी

पवन सिहाग 'अनाम'

परभातियै तारै री पौर

नाथूसिंह इंदा

फसलां

राजेन्द्र सिंह चारण

रामलो अर रामलो

देवकरण जोशी 'दीपक'

जीवन

रामकुमार भाम्भू

आस

सुमन पड़िहार

करसाण

शिव 'मृदुल'

फांदो

विनोद भट्ट