किसान पर कवितावां

किसान सबद रा अलेखूं

सरूप है। खेतिहर या पछै जमीं बावणियौ किसान अलग व्है, जकै कनै आपरी जमीं व्है वा किसान अलग। पण अठै संकलित रचनावां फगत लोक मुजब 'जमींदार' सबद नै छोड़'र किसान सबद रै सगळां सरुपां नै पूरा करै।

कविता95

मार्क्स

शिव बोधि

स्वाद

आईदान सिंह भाटी

ढाणी

देवीलाल महिया

माटी थनै बोलणौ पड़सी

रेवतदान चारण कल्पित

चेत मांनखा

रेवतदान चारण कल्पित

किरसौ

डालेश पारीक 'मतवाला'

करसाण

शिव 'मृदुल'

सांझ-सुंदरी

महेंद्रसिंह छायण

फरक

किशोर कुमार निर्वाण

कुण?

जयनारायण व्यास

परूडा नी वात

छगन लाल नागर

खेत

संजू श्रीमाली

जाग्या जी करसाण

रामदयाल मेहरा

फोफळियो

जगदीशनाथ भादू 'प्रेम'

किसान रौ विस्वास

मईनुदीन कोहरी 'नाचीज'

म्हारी भी सुणो

उर्मिला औदीच्य

धणी

पवन सिहाग 'अनाम'

हेलो पाड़ रे

हरीश भादानी

काल पछै सुख होसी

मेघराज मुकुल

परभातियै तारै री पौर

नाथूसिंह इंदा

किसान नूं करम

नरेन्द्रपाल जैन

नाळ

विनोद स्वामी

फसलां

राजेन्द्र सिंह चारण

रामलो अर रामलो

देवकरण जोशी 'दीपक'

जीवन

रामकुमार भाम्भू

खरगोस्यां रा पाळा में

अवन्तिका तूनवाल

आस

सुमन पड़िहार

फांदो

विनोद भट्ट

करसा

फतहलाल गुर्जर 'अनोखा'

बांध पगां में घूघरा

त्रिलोक शर्मा

ऊपरमाळ

मोहन पुरी

भरोसो

अनिल अबूझ

करसौ

पूजाश्री

निनाण

महावीर प्रसाद जोशी

कागद रै खेत

हनुमान प्रसाद 'बिरकाळी'

दस दात : 7. मोठ

नानूराम संस्कर्ता

दुखड़ो किसान रो

प्रभुदयाल मोठसरा

पाछा चालो खेत में

विमला महरिया 'मौज'

बिरखा

विप्लव व्यास

पीड़ काळज्यै री

प्रहलादराय पारीक

काळ

रामस्वरूप किसान

रेत सूं आस

ऋतु शर्मा

मूँ बापड़ौ

मोड़ सिंघ बल्ला ‘मृगेन्द्र’

खेत में द्‌यो हलकारो

बुद्धरंजन शर्मा

'केश्या' की चेतावणी

हीरालाल शास्त्री