किसान पर दूहा

किसान सबद रा अलेखूं

सरूप है। खेतिहर या पछै जमीं बावणियौ किसान अलग व्है, जकै कनै आपरी जमीं व्है वा किसान अलग। पण अठै संकलित रचनावां फगत लोक मुजब 'जमींदार' सबद नै छोड़'र किसान सबद रै सगळां सरुपां नै पूरा करै।

दूहा4

कोमळ कोमळ पांखड़्यां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

किरसाणां हळ सांभिया (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

जे लूआं थे जाणती (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

डरपै कांपै सावणी

शिवराज भारतीय