किसान पर गीत

किसान सबद रा अलेखूं

सरूप है। खेतिहर या पछै जमीं बावणियौ किसान अलग व्है, जकै कनै आपरी जमीं व्है वा किसान अलग। पण अठै संकलित रचनावां फगत लोक मुजब 'जमींदार' सबद नै छोड़'र किसान सबद रै सगळां सरुपां नै पूरा करै।

गीत23

लिछमी

रेवतदान चारण कल्पित

माटी रौ हेलौ

रेवतदान चारण कल्पित

हब्बीड़ो

कानदान ‘कल्पित’

कोई मन भरमावै रे

बुलाकी दास बावरा

झंडागीत

विजयसिंह पथिक

हालरियौ

रेवतदान चारण कल्पित

कागलौ

आशारानी लखोटिया

हाळी हलकारौ दे

गजानन वर्मा

हळोतियौ

रेवतदान चारण कल्पित

गीतड़लौ गावै है

नीता कोठारी

बन मोरिया रे

कृष्ण बिहारी ‘भारतीय’

भू-दान

मेघराज मुकुल

विस्थापन रो गीत

हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'

निदांण

रेवतदान चारण कल्पित

असी काईं खेती बाड़ी

राम नारायण मीणा ‘हलधर’

बसन्त

आशारानी लखोटिया

छियाँ- तावड़ो

मेघराज मुकुल

जद झुकै सीस

मनुज देपावत