किरसै पर गीत

किसान सबद रा अलेखूं

सरूप है। खेतिहर या पछै जमीं बावणियौ किसान अलग व्है, जकै कनै आपरी जमीं व्है वा किसान अलग। पण अठै संकलित रचनावां फगत लोक मुजब 'जमींदार' सबद नै छोड़'र किसान सबद रै सगळां सरुपां नै पूरा करै।

गीत20

लिछमी

रेवतदान चारण कल्पित

माटी रौ हेलौ

रेवतदान चारण कल्पित

हालरियौ

रेवतदान चारण कल्पित

हळोतियौ

रेवतदान चारण कल्पित

हब्बीड़ो

कानदान ‘कल्पित’

कोई मन भरमावै रे

बुलाकी दास बावरा

धरती रो हियो जगादे

मेघराज मुकुल

गीतड़लौ गावै है

नीता कोठारी

बन मोरिया रे

कृष्ण बिहारी ‘भारतीय’

भू-दान

मेघराज मुकुल

विस्थापन रो गीत

हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'

निदांण

रेवतदान चारण कल्पित

असी काईं खेती बाड़ी

राम नारायण मीणा ‘हलधर’

छियाँ- तावड़ो

मेघराज मुकुल

जद झुकै सीस

मनुज देपावत

झंडागीत

विजयसिंह पथिक