आज सूं पांच बरस पैल्यां

म्हूं मिल्यो हरखियै सूं

फाट्या-पुराणां,

मैला कपड़ां मांय

लिपट्यौ हरखियौ

भाज्यो जा रैयो हो

आपरी किरस भौम कानी

हां, बा किरस भौम जकी

बीं अर बीं रै परवार रो पाळती ही पेट।

आज सूं पांच बरस पै'ली

हरखियौ म्हनैं कैयो कै

-दादा!

अबकाळै तो फेर थूं नवा कपड़ा सिंवा लेवैलो

तो बो बोल्यो-दादा,

अबकाळै समूळो करजौ चूक ज्यावैलो

अर नवा कपड़ा ज्यावैला

म्हूं हांस’र चाल पड़्यो।

पांच बरस पाछै जद आज

मिल्यो हरखियै सूं

तो देख्यौ कै

बो उतार रैयो हो

ट्रक सूं चीणी री बोरी...

देख’र म्हूं बोल्यो

-रै हरखू, फसल-बाड़ी कैयां है?

बो म्हारी आवाज सुण’र

पिछापग्यो पण

बोल्यो कीं नीं

म्हूं फेरूं पूछ्यो

तद अबकाळै बीं री आंख्यां बोली

करसां रो हाल कांई सुधरणो दादा,

बीं नैं तो कुटीजणो है

कदै सरकारां सूं

तो कदै भगवान सूं!

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली लोकचेतना री राजस्थानी तिमाही ,
  • सिरजक : डालेश पारीक ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति पीठ
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