दुखड़ो किण स्यूं केवां भाई?

टूट्या सुपणा टूटी आस

करो मालिक स्यूं अरदास

म्हानैं जग स्यूं उठाले साईं

दुखड़ो किण स्यूं केवां भाई?

तपतां धोरा दो’रो जीवण

फसला चावै पाणी पीवण

राज कानी स्यूं भी आंख दिखाई

दुखड़ो किण स्यूं केवां भाई...?

म्हारी फसल री बे बोली लगावै

ठिठुरती रात रा मोल कद ध्यावै

के होसी आगै, कोई तो करो सुणवाई

दुखड़ो किण स्यूं केवां भाई...?

किसान दिवस आयो गयो

चिंता म्हारी चित नीं धारी

अन्न बिना कियां रहस्यो

कीं आप समझो किरसाई

दुखड़ो किण स्यूं केवां भाई...?

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : प्रभुदयाल मोठसरा ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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