सिणगार पर कवितावां

लोक में सिणगार रौ घणकरौ

अरथ गैंणा-गांठा सूं लेईजै पण जद बात कविता री आवै तद उठै एक रस आय'न ऊभौ व्है जावै, जिणनै 'सिणगार रस'कैवै। अठै संकलित कवितावां सिणगार रै अनेकू पखां में जुड़योड़ी है।

कविता37

फूठरापो गांव रौ

रचना शेखावत

अेक पंखेरू

वासु आचार्य

सांझ-सुंदरी

महेंद्रसिंह छायण

पासाण सुंदरी

नारायण सिंह भाटी

सांझ

महावीर प्रसाद जोसी

बे रूप

मधुकर बनकोड़ा

मरवण

ताऊ शेखावटी

गवरी से गावणौ

नारायण सिंह भाटी

चांद रो चितराम

चैन सिंह शेखावत

साटिया री छोरी सूं

गोरधन सिंह शेखावत

रूपा बावळी

रामदयाल मेहरा

चांद अेकलो

चैन सिंह शेखावत

चांनणी रात

रेवतदान कल्पित

ईतर की सीसी

विष्णु विश्वास

रूप

सत्यप्रकाश जोशी

सांझड़ी मिस

नैनमल जैन

कळी-कचनार

ताऊ शेखावटी

उजास री सीरणी

राजेश कुमार व्यास

सोळमौ सावण

शिव 'मृदुल'

थूं

गोरधन सिंह शेखावत

रोहिड़े रा फूल

मृदुला राजपुरोहित

फागणिये री रीत

छत्र छाजेड़ 'फकड़'

पूजा

सत्यप्रकाश जोशी

अड़वो

गजानन वर्मा

थारी निजरां

हरीश सुवासिया

रातरांणी

मणि मधुकर

राज आवौ सा!

नैनमल जैन

वा नाची ठेठ ग्रामगीत

ओमप्रकाश सरगरा 'अंकुर'

बिरखा-बींनणी

रेवतदान कल्पित

गौळ गळा मं

विष्णु विश्वास