सिणगार पर कवितावां

लोक में सिणगार रौ घणकरौ

अरथ गैंणा-गांठा सूं लेईजै पण जद बात कविता री आवै तद उठै एक रस आय'न ऊभौ व्है जावै, जिणनै 'सिणगार रस'कैवै। अठै संकलित कवितावां सिणगार रै अनेकू पखां में जुड़योड़ी है।

कविता60

फूठरापो गांव रौ

रचना शेखावत

अेक पंखेरू

वासु आचार्य

सांझ-सुंदरी

महेंद्रसिंह छायण

तूं गोरी बा सांवळी

कल्याणसिंह राजावत

पासाण सुंदरी

नारायण सिंह भाटी

म्हैं हूं थारी चंद्रगौरजा

ललिता राजपुरोहित 'चंद्रगौरजा'

लाजाळू बींनणी

अमर सिंह राजपुरोहित

सांझ

महावीर प्रसाद जोसी

बे रूप

मधुकर बनकोड़ा

धरती री भासा

मोहन आलोक

मरवण

ताऊ शेखावटी

म्हारौ पियारो पीव

रामाराम चौधरी

गवरी से गावणौ

नारायण सिंह भाटी

चांद रो चितराम

चैन सिंह शेखावत

साटिया री छोरी सूं

गोरधन सिंह शेखावत

आयौ है तिवार तो सावण रौ

दीपा परिहार 'दीप्ति'

गीतां को गेलो

प्रेमजी ‘प्रेम’

रूपा बावळी

रामदयाल मेहरा

कतनी ई बार

प्रेमजी ‘प्रेम’

चांद अेकलो

चैन सिंह शेखावत

चोरटो-चाँद

किशोर कल्पनाकान्त

चांनणी रात

रेवतदान चारण कल्पित

ईतर की सीसी

विष्णु विश्वास

बाळकियौ

मणि मधुकर

रूप

सत्यप्रकाश जोशी

उतरी चांदणी

प्रेमजी ‘प्रेम’

सांझड़ी मिस

नैनमल जैन

कळी-कचनार

ताऊ शेखावटी

उजास री सीरणी

राजेश कुमार व्यास

सोळमौ सावण

शिव 'मृदुल'

उतरी चांदणी

प्रेमजी ‘प्रेम’

मूंडो दूधां धोयो

प्रेमजी ‘प्रेम’

थूं

गोरधन सिंह शेखावत

रोहिड़े रा फूल

मृदुला राजपुरोहित

फागणिये री रीत

छत्र छाजेड़ 'फकड़'

पूजा

सत्यप्रकाश जोशी

पीव बैठा परदेस

रामाराम चौधरी

अड़वो

गजानन वर्मा

झील अर आंख्यां

इन्द्र प्रकाश श्रीमाली

परदैसी पंछी

अमर सिंह राजपुरोहित

म्हारौ देस

रेवतदान चारण कल्पित

सरवर तीरां चांदणी

प्रेमजी ‘प्रेम’

थारी निजरां

हरीश सुवासिया