सिणगार पर गीत

लोक में सिणगार रौ घणकरौ

अरथ गैंणा-गांठा सूं लेईजै पण जद बात कविता री आवै तद उठै एक रस आय'न ऊभौ व्है जावै, जिणनै 'सिणगार रस'कैवै। अठै संकलित कवितावां सिणगार रै अनेकू पखां में जुड़योड़ी है।

गीत18

गा लेवूं पूरौ गीत

किशोर कल्पनाकान्त

मिजमानी

अभिलाषा पारीक

अलूणौ सिणगार

आशा शर्मा

कामणी

मोहम्मद सदीक

दीवाळी रो गीत

गजानन वर्मा

आलीजौ भंवर

रेवतदान चारण कल्पित

जाणे कुण?

किशन लाल वर्मा

कठीकर आवै अे?

किशोर कल्पनाकान्त

नहीं कटै अै लंबी रातां जी

ललिता राजपुरोहित 'चंद्रगौरजा'

सन्यासी

भागीरथसिंह भाग्य

बायरियौ

रेवतदान चारण कल्पित

फागण आयो राज

किशोर कल्पनाकान्त

गीत धोरा धरती रौ

शक्तिदान कविया

उडीक

गजानन वर्मा

म्हनै जांवण दे परदेस

रजा मोहम्मद खान

मरवण! तार बजा

किशोर कल्पनाकान्त

कोयलङी पिव-पिव बोलै

रजा मोहम्मद खान