है घणी नाजुक कळी कचनार रै भँवरा!

मत कर इतणी जोर स्यूं गुंजार रै भँवरा!

रुत अलबेली, तू अलबेलो

लुक छिप दे यूं झालो-हेलो

मत ना छेड़ै मन वीणा रा तार रै भँवरा!

है घणी नाजुक कळी कचनार रै भँवरा!

मैं हूं मनवारां री काची

देख गजब हो ज्यागो सांची

मत कर मुळक-मुळक इतणी मनवार रै भँवरा!

है घणी नाजुक कळी कचनार रै भँवरा!

मैं हूँ मनवाराँ री काची

देख गजब हो ज्यागो सांची

मत कर मुळक-मुळक इतणी मनवार रै भँवरा!

है घणी नाजुक कळी कचनार रै भँवरा!

मैं जाणूं तूं मन रो काळो

मन रो काळो, तन रो काळो

उड ज्यागो रस चूस छोड मझधार रै भँवरा!

है घणी नाजुक कळी कचनार रै भँवरा!

जग जाणै तूं मद रो लोभी

हठ मत कर मतलबिया जोगी

ऊमर काची रुकज्या दिन दो—चार रै भँवरा!

है घणी नाजुक कळी कचनार रै भँवरा!

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत फरवरी-मार्च ,
  • सिरजक : ताऊ शेखावटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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