फुटरापौ पर कवितावां

फूटरापौ एक भाव है। राजस्थानी

री सगळी बोलियां में फूटरापै रा अलेखूं पर्यायवाची है। अठै प्रस्तुत संकलन में फूटरापै नै लेय'र रचियोड़ी कवितावां रो संग्रै करीज्यो है।

कविता100

प्रेम री परिभाषा

सत्येंद्र चारण

म्हारै पुराणियां घर री

मृदुला राजपुरोहित

मूंडो दूधां धोयो

प्रेमजी ‘प्रेम’

सांझ-सुंदरी

महेंद्रसिंह छायण

निभ जावै हर रिश्तो

अनुश्री राठौड़

रोहिड़े रा फूल

मृदुला राजपुरोहित

मिनख री सुतंतरता

रेणुका व्यास 'नीलम'

पासाण सुंदरी

नारायण सिंह भाटी

गुवाड़ी रो धरम

मदन गोपाल लढ़ा

गौळ गळा मं

विष्णु विश्वास

म्हारी डायरी

प्रमिला शंकर

संझ्या

मोहन आलोक

सुखसाज

मणि मधुकर

म्हारौ गांव

हरमन चौहान

प्रणय

ओमप्रकाश गर्ग 'मधुप'

सतमासिया सपना

कृष्ण बृहस्पति

चांदणी पील्यां

रघुराजसिंह हाड़ा

बूढ़ी काकी

दिनेश चारण

काग उड़ायनै साजन बुलाऊं

दीपा परिहार 'दीप्ति'

सुन्दरता अर सिव

अनिता सैनी

लोक देस

देवेश पथ सारिया

कन्या शतक सूं

रेखा व्यास

लाजाळू बींनणी

अमर सिंह राजपुरोहित

मिलण

पूजाश्री

भादवै रो मेह

कृष्ण बृहस्पति

मोती डूंगरी

मणि मधुकर

ऊँचे अडाण माथै

रतन सिंह चांपावत

रोईड़ौ

मणि मधुकर

कसूम्बा

मोहम्मद सदीक

मजदूर

लालचन्द मानव

म्हां अपमानित

पारस अरोड़ा

पिणघट

शारदा कृष्ण

गाडिया लुहार

गोरधन सिंह शेखावत

धरती री भासा

मोहन आलोक

अेक कवि री आयस

चन्द्र प्रकाश देवल

इंदर धणख

सीमा भाटी

अढाई आखरां रौ अभिमन्यु

शंकरसिंह राजपुरोहित

गवरी से गावणौ

नारायण सिंह भाटी

चांद रो चितराम

चैन सिंह शेखावत

साटिया री छोरी सूं

गोरधन सिंह शेखावत

धोरां री धरती

शिवराज भारतीय

माँ रा सपना

राजदीप सिंह इन्दा

हेत प्रीत री हथाई

नाथूसिंह इंदा

पै’लगांम

मणि मधुकर