फुटरापौ पर कवितावां

फूटरापौ एक भाव है। राजस्थानी

री सगळी बोलियां में फूटरापै रा अलेखूं पर्यायवाची है। अठै प्रस्तुत संकलन में फूटरापै नै लेय'र रचियोड़ी कवितावां रो संग्रै करीज्यो है।

कविता116

प्रेम री परिभाषा

सत्येंद्र चारण

मूंडो दूधां धोयो

प्रेमजी ‘प्रेम’

रोहिड़े रा फूल

मृदुला राजपुरोहित

मिनख री सुतंतरता

रेणुका व्यास 'नीलम'

म्हारै पुराणियां घर री

मृदुला राजपुरोहित

पासाण सुंदरी

नारायण सिंह भाटी

निभ जावै हर रिश्तो

अनुश्री राठौड़

सांझ-सुंदरी

महेंद्रसिंह छायण

गुवाड़ी रो धरम

मदन गोपाल लढ़ा

मन री बातां

मेघराज मुकुल

गौळ गळा मं

विष्णु विश्वास

म्हारी डायरी

प्रमिला शंकर

संझ्या

मोहन आलोक

सोध लीवी पिरथमी

नंद भारद्वाज

सुखसाज

मणि मधुकर

म्हारौ गांव

हरमन चौहान

म्हारौ देस

रेवतदान चारण कल्पित

तर-तर बसै सौरम

राजेश कुमार व्यास

मन री ड्योढी

ज़ेबा रशीद

संझ्या : तीन चतराम

प्रेमजी ‘प्रेम’

लुगाई

थानेश्वर शर्मा

वा नाची ठेठ ग्रामगीत

ओमप्रकाश सरगरा 'अंकुर'

प्रणय

ओमप्रकाश गर्ग 'मधुप'

सतमासिया सपना

कृष्ण बृहस्पति

चांदणी पील्यां

रघुराजसिंह हाड़ा

बूढ़ी काकी

दिनेश चारण

काग उड़ायनै साजन बुलाऊं

दीपा परिहार 'दीप्ति'

पृथ्वी

मालचंद तिवाड़ी

उजास री सीरणी

राजेश कुमार व्यास

थूं

गोरधन सिंह शेखावत

आपणो थार

रामकुमार भाम्भू

हाल-चाल

कुलदीप पारीक 'दीप'

आंख्यां

त्रिभुवन

सवार

मालचंद तिवाड़ी

दीठ सूं उपजै नेह

राजेश कुमार व्यास

छेकड़ ताल रो अेक बोल

मालचंद तिवाड़ी

म्हारो प्रणाम!

राजेश कुमार व्यास

आइनो

ज़ेबा रशीद

मोट्यार मौसम

प्रेमजी ‘प्रेम’

कळी-कचनार

ताऊ शेखावटी

थेपड्यां रै मिस

गौरीशंकर निमिवाळ

फूटरा

मनोज कुमार स्वामी

गोरी गोरी गजबण

दुर्गादान सिंह गौड़

सुन्दरता अर सिव

अनिता सैनी

लोक देस

देवेश पथ सारिया

कन्या शतक सूं

रेखा व्यास

लाजाळू बींनणी

अमर सिंह राजपुरोहित