फुटरापौ पर कवितावां

फूटरापौ एक भाव है। राजस्थानी

री सगळी बोलियां में फूटरापै रा अलेखूं पर्यायवाची है। अठै प्रस्तुत संकलन में फूटरापै नै लेय'र रचियोड़ी कवितावां रो संग्रै करीज्यो है।

कविता83

प्रेम री परिभाषा

सत्येन्द्र सिंह चारण झोरड़ा

म्हारै पुराणियां घर री

मृदुला राजपुरोहित

सांझ-सुंदरी

महेंद्रसिंह छायण

निभ जावै हर रिश्तो

अनुश्री राठौड़

रोहिड़े रा फूल

मृदुला राजपुरोहित

मिनख री सुतंतरता

रेणुका व्यास 'नीलम'

पासाण सुंदरी

नारायण सिंह भाटी

लोक देस

देवेश पथ सारिया

कन्या शतक सूं

रेखा व्यास

लाजाळू बींनणी

अमर सिंह राजपुरोहित

मिलण

पूजाश्री

गोरै दिन रै लारै सिंझ्या

कन्हैयालाल सेठिया

भादवै रो मेह

कृष्ण बृहस्पति

मोती डूंगरी

मणि मधुकर

ऊँचे अडाण माथै

रतन सिंह चांपावत

कसूम्बा

मोहम्मद सदीक

मजदूर

लालचन्द मानव

म्हां अपमानित

पारस अरोड़ा

पिणघट

शारदा कृष्ण

गाडिया लुहार

गोरधन सिंह शेखावत

अेक कवि री आयस

चन्द्र प्रकाश देवल

इंदर धणख

सीमा भाटी

अढाई आखरां रौ अभिमन्यु

शंकरसिंह राजपुरोहित

गवरी से गावणौ

नारायण सिंह भाटी

चांद रो चितराम

चैन सिंह शेखावत

साटिया री छोरी सूं

गोरधन सिंह शेखावत

धोरां री धरती

शिवराज भारतीय

माँ रा सपना

राजदीप सिंह इन्दा

हेत प्रीत री हथाई

नाथूसिंह इंदा

बा म्हनैं

दुष्यंत

मूमल

नारायण सिंह भाटी

रूपा बावळी

रामदयाल मेहरा

खजाणौ

घनश्याम नाथ कच्छावा

सै सूं सुन्दर पुसब

रेणुका व्यास 'नीलम'

रूप हालै

अमर दलपुरा

फुलवारी

शिव 'मृदुल'

तितली

सीमा पारीक

पामणा लेवण आया जी

चतुर कोठारी

सोनार किलो

राजेश कुमार व्यास

गमियोड़ौ गांव

सत्यदेव संवितेन्द्र

बापड़ी कविता

महेन्द्र मील

ईतर की सीसी

विष्णु विश्वास

घूँघट

ओम बटाऊ

धोरां वाळो देस

भगवान सैनी

इतरावे क्यूं?

भगवान सैनी