घर पर कवितावां

महज़ चहारदीवारी को ही

घर नहीं कहते हैं। दरअस्ल, घर एक ‘इमोशन’ (भाव) है। यहाँ प्रस्तुत है—इस जज़्बे से जुड़ी हिंदी कविताओं का सबसे बड़ा चयन।

कविता89

आंगणैं रो हक

राजूराम बिजारणियां

घट्टी

मुकुट मणिराज

म्हारै पुराणियां घर री

मृदुला राजपुरोहित

कारीगरी

राजूराम बिजारणियां

घरे आजा

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

बंटवारो

भगवती लाल व्यास

बडेरा

रचना शेखावत

बात बीतगी

राजूराम बिजारणियां

घर मोढां पर

राजूराम बिजारणियां

घर कठै है

अर्जुन देव चारण

थळी रा संस्कार

राजूराम बिजारणियां

हरिया रूंख

अंजु कल्याणवत

हिरोशिमा-नागासाकी

राजूराम बिजारणियां

घर अर फळसौ

आईदान सिंह भाटी

मां

तेजस मुंगेरिया

घर

अशोक परिहार 'उदय'

दीतवार रै दिन

भगवती लाल व्यास

सराप

रचना शेखावत

पंखो

लक्ष्मीनारायण रंगा

म्हारौ बेरौ

धनंजया अमरावत

आंख्यां मांय हंसतौ गांव

गौरीशंकर निमिवाळ

हेली म्हारी

बी. एल. माली ‘अशान्त’

झूंपड़ा

सुनील कुमार लोहमरोड़ ‘सोनू’

जूनौ घर

संजय आचार्य 'वरुण'

दीवाळी रा दीवट

फतहलाल गुर्जर 'अनोखा'

थारै घर की रीत

नैनमल जैन

भींत भरोसै री

सत्येंद्र चारण

नान्ही कवितावां : आओ सोचां

सुरेन्द्र सुन्दरम

सूनी हवेली

श्याम सुन्दर टेलर

पड़तख गवाह

संजय पुरोहित

घर

सत्यप्रकाश जोशी

म्हारै माथै छात

धनपत स्वामी

मा

कैलाश मंडेला

घर

सुधीर राखेचा

कविता सो है

मोहन आलोक

गवर

अर्जुन देव चारण

घर-बेघर

रेणुका व्यास 'नीलम'

रैवास

सीमा भाटी

दिवला अर बाट

अंकिता पुरोहित

अहसास

रवि भट्ट

जगमगाती दिवाळी

फतहलाल गुर्जर 'अनोखा'

म्हैं सोचूं

वाज़िद हसन काजी

औळमो

मघाराम लिम्बा

घर

प्रवीण सुथार

लिछमा

कुमार श्याम

तुरपाई करती लुगाई

मदन गोपाल लढ़ा