क्यूं गरजां करो

माथै चढाओ

माथै चढग्यो तो

उतारणो ओखो हुय जासी

म्हारी मानो तो

जावण द्यो

जठै जावै

घर सूं बारै

कठै ढोई है

कोई कुत्तो नीं पूछै

कठै जासी

पतियारो राखो

धक्का खाय नै

पाछो अठै आसी।

स्रोत
  • पोथी : नेगचार राजस्थानी ई-पत्रिका ,
  • सिरजक : नवनीत पांडे ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • संस्करण : अंक 26
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