पैली सांमी भेंत नी खूंटी माथे

टंगाई रैह्तौ

म्हारा बापा नो कोट

पैला आंगणे

तुलसी क्यारा पाहे उभी

म्हारी बा वाट जौती

सांमी जारी मअें म्हारी घरवारी

जेनी आंखें म्हने

हूंजते-हूंजते

हूंजी गई

नानीकरी साइकिल

जेने माथे

म्हारो टीनू बैहीने

बापा-बापा करतो

घर ना वाहली आडे

खूंटे बंधाई रैह्ती राती गाय

चर-पांच बकरिये में में करती

धोरिया-कारिया बेय बळदं नी जोड़

अणा सब साथे

जौई र्‌यौ हूं

पैली आड़े

बापा नी बीमारी

बेटा नी भणाई

बेटी नो वीवा लई र् ‌यो म्हारी परीक्षा।

जेयं छोरा ने

जैम-तैम करी भणाव्यो

वखेराई ग्या

पइसा टका इलाज मअें,

कर्‌यो दीकरा नो विवा

दायजा नी आड़ी-टेढ़ी वाते सांभरीने

उतारी माथा नी पागड़ी

जैम-तैम करी

खुसिये मुंड़ा माथे राखी

घर नी भेंते गिरवे मेली

म्हूं टूटी ग्यो

आवी पड़्या म्हारे साथै

करजा ना डूंगरा

नै पूग्या के हाथ

वेचवा लाग्यो म्हारो छांइलो

पण ना-ना करते

आजे आंखं सांमू

वखेराई ग्यू म्हारू संसार

लागी गई बोलिये म्हारा घर नी

जौते-जौते

जातू र्‌यू सब

आंखं अगाड़ी

नीलामी ना ऊंड़ा बजार मअें

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : राजेश राज ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : अपरंच प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै