बाप पर कवितावां

पारिवारिक इकाई में पिता

एक विशिष्ट भूमिका का निर्वाह करता है और यही कारण है कि जीवन-प्रसंगों की अभिव्यक्ति में वह एक मज़बूत टेक की तरह अपनी उपस्थिति जताता रहता है। यहाँ प्रस्तुत है—पिता विषयक कविताओं का एक विशेष संकलन।

कविता90

निरवाळा रंग

राजूराम बिजारणियां

बडेरा

रचना शेखावत

सातवौं फेरौ

अर्जुन देव चारण

भोळी चिड़कली

चंद्रशेखर अरोड़ा

ओ गांव है

रामस्वरूप किसान

वो झुरै

अर्जुन देव चारण

बेटा कद आवैला गांव

राजूराम बिजारणियां

पिताजी-२

ओम पुरोहित ‘कागद’

पुळ

मनमीत सोनी

बाप

पुरुषोत्तम छंगाणी

पिताजी

ओम पुरोहित ‘कागद’

आओ बेटी बचावां

रचना शेखावत

झमकू

श्याम महर्षि

हाइकू

शिव शर्मा 'विश्वासु'

पिताजी

मनमीत सोनी

वेचाई ग्यौ छांइलो

राजेश जैन ‘राज’

म्हारा कंवर सा

कल्याणसिंह राजावत

हाड़ी बाढतां

सत्यनारायण सोनी

पागड़ी

अशोक परिहार 'उदय'

मा री पीड़

नमामीशंकर आचार्य

बाळकियौ

मणि मधुकर

डर

मनमीत सोनी

पिताजी-3

ओम पुरोहित ‘कागद’

टूटगी रिस्तां री डोर

रजा मोहम्मद खान

बेटा अर बेटी

श्रीनिवास तिवाड़ी

न्हारवौ

मणि मधुकर

पड़तख गवाह

संजय पुरोहित

आप पण लड़या

संदीप 'निर्भय'

समझ

तुषार पारीक

रड़कै प्रीत

हनुमान प्रसाद 'बिरकाळी'

ओ बाबुल

नीलम शर्मा ‘नीलू’

मायत

पवन सिहाग 'अनाम'

संतान रो सुख

कान्ह महर्षि

हाइकु

घनश्याम नाथ कच्छावा

मत करजे चूंकारो बापू

गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

बाबुल

नीलम शर्मा ‘नीलू’

जीसा - कीं चितराम

मीठेश निर्मोही

बेटा

अशोक कुमार दवे

तोम्बडू

शैलेन्द्र उपाध्याय

फुटपाथ पर बैठ्यै बाप रा सुपना

जितेन्द्र कुमार सोनी

घर बाबत

नीरज दइया

ओळ्यूं

भारती पुरोहित

माइतां

करणीदान बारहठ

रूंख रा छोडा

नीरज दइया

हिवड़ै री हूक

विवेकदीप बौद्ध

नींद अर बातां

अर्जुन देव चारण