बाप पर कवितावां

पारिवारिक इकाई में पिता

एक विशिष्ट भूमिका का निर्वाह करता है और यही कारण है कि जीवन-प्रसंगों की अभिव्यक्ति में वह एक मज़बूत टेक की तरह अपनी उपस्थिति जताता रहता है। यहाँ प्रस्तुत है—पिता विषयक कविताओं का एक विशेष संकलन।

कविता83

बाबो

भगवान सैनी

जांवता हा

सत्यदीप ‘अपनत्व’

पिता थे

सन्तोष मायामोहन

पांगळौ

राणुसिंह राजपुरोहित

माथे पर चांद

प्रियंका भारद्वाज

बाप

पुरुषोत्तम छंगाणी

पिताजी-२

ओम पुरोहित ‘कागद’

पुळ

मनमीत सोनी

छपरो

पवन सिहाग 'अनाम'

खुद रै मायंता री

राजेन्द्र सिंह चारण

पण बापू

आशीष पुरोहित

म्हारा पिताजी

गौरी शंकर निम्मीवाल

बेटी

मनोज कुमार स्वामी

गमग्या कठै पिताजी

कैलाश मंडेला

मां-बाप के बेई

शरद उपाध्याय

बाप

नगेन्द्र नारायण किराडू

झुळसतौ रैवूं

गौरी शंकर निम्मीवाल

दोय चिड़कली

राजदीप सिंह इन्दा

माथै रा सळ

आशीष पुरोहित

गोकै रो बेटो मांगियो

कृष्णगोपाल शर्मा

बापूजी

मोनिका शर्मा

सरवण नैं याद तो राखो

गिरधारी सिंह राजावत

बै सागी बातां

संदीप 'निर्भय'

सवाल (दो)

गौरी शंकर निम्मीवाल

आओ बेटी बचावां

रचना शेखावत

झमकू

श्याम महर्षि

हाइकू

शिव शर्मा 'विश्वासु'

भोळी चिड़कली

चंद्रशेखर अरोड़ा

पड़तख गवाह

संजय पुरोहित

आप पण लड़या

संदीप 'निर्भय'

समझ

तुषार पारीक

रड़कै प्रीत

हनुमान प्रसाद 'बिरकाळी'

ओ गांव है

रामस्वरूप किसान

बेटा कद आवैला गांव

राजूराम बिजारणियां

पिताजी

ओम पुरोहित ‘कागद’

बडेरा

रचना शेखावत

सातवौं फेरौ

अर्जुन देव चारण

मायत

पवन सिहाग 'अनाम'

संतान रो सुख

कान्ह महर्षि

हाइकु

घनश्याम नाथ कच्छावा

मत करजे चूंकारो बापू

गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

जीसा - कीं चितराम

मीठेश निर्मोही

बेटा

अशोक कुमार दवे

तोम्बडू

शैलेन्द्र उपाध्याय

फुटपाथ पर बैठ्यै बाप रा सुपना

जितेन्द्र कुमार सोनी

घर बाबत

नीरज दइया