कित्ती कमती ही

जरूरतां-

फाट्योड़ा पूरां मांय बी

जी लेंवता म्हे

बरसां बरस

बिना नहायां

साबण रै।

कित्ती सौरफ सूं

बतावै पिताजी

बदहाली नै

खुसहाली मांय

बदळ’र।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : ओम पुरोहित कागद ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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