बाप पर गीत

पारिवारिक इकाई में पिता

एक विशिष्ट भूमिका का निर्वाह करता है और यही कारण है कि जीवन-प्रसंगों की अभिव्यक्ति में वह एक मज़बूत टेक की तरह अपनी उपस्थिति जताता रहता है। यहाँ प्रस्तुत है—पिता विषयक कविताओं का एक विशेष संकलन।

गीत8

गीत

मंगत बादल

सीख सिखाऊं

गजानन वर्मा

सुण सुण री अम्मा

रामदयाल मेहरा

विस्थापन रो गीत

हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'

कपूत-सपूत

हिंगलाज दान कविया

म्हूं बेटी बाबल री छोटी

छैलूदान चारण 'छैल'