मांड कदैई तो

म्हारै अठै

थारा कूंकूं पगल्या

जोवूं थारी बाट

आव, अेकर तो आव।

सूनो पड़यो है

म्हारै हिवड़ै रो आंगणो।

स्रोत
  • पोथी : मन रो सरणाटो ,
  • सिरजक : इरशाद अज़ीज़ ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
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