टाबर पर कवितावां

हिंदी के कई कवियों ने

बच्चों के वर्तमान को संसार के भविष्य के लिए समझने की कोशिश की है। प्रस्तुत चयन में ऐसे ही कवियों की कविताएँ संकलित हैं। इन कविताओं में बाल-मन और स्वप्न उपस्थित है।

कविता87

चेतै आयगी मां

आशीष पुरोहित

चानणो

अंजु कल्याणवत

प्रीत, छांट अर गड़ा

राजूराम बिजारणियां

थळी रा संस्कार

राजूराम बिजारणियां

हरिया रूंख

अंजु कल्याणवत

है घणों अलाम बगत नानी

शंकरलाल स्वामी

सुपनां

अशोक जोशी ‘क्रांत’

गांव अर टाबर

मदन सैनी

बालक री मुलकाण

रामसिंघ सोलंकी

बाळपणो

राजेन्द्र जोशी

फूटरा

मनोज कुमार स्वामी

कमेड़ी

देवीलाल महिया

बाजरी-टाबरी

महेन्द्र मील

संगठन री सगती

भगवान सैनी

पंछी

देवीलाल महिया

पीळो पोमचो

कृष्णा आचार्य

खुद रै मायंता री

राजेन्द्र सिंह चारण

गमग्या कठै पिताजी

कैलाश मंडेला

गरमी आई

भगवान सैनी

बाळ-ब्यांव

धनंजया अमरावत

कदैई तौ

आईदान सिंह भाटी

उण री आंख्यां में

अर्जुन देव चारण

मुळक

प्रहलादराय पारीक

अेकर आज्या रे चांद!

दुष्यन्त जोशी

हांसी अर हाहाकार

जनकराज पारीक

बोकसी

मनोज कुमार स्वामी

टाबर

दीनदयाल शर्मा

आग रा छांटा

त्रिभुवन

मां

भगवान सैनी

नाणा

विजय गिरि गोस्वामी 'काव्यदीप'

बदळाव

निशान्त

क्यूं याद आवै

राणुसिंह राजपुरोहित

मंड्यो मगरियो

भगवान सैनी

बाळकियौ

मणि मधुकर

बगदबो चाहूं

देवेश पथ सारिया

इसपताऴ री नरस बावऴी...

गौरीशंकर ‘भावुक’

कांच री आस्था

रचना शेखावत

बस तणी

कमल रंगा

बाळक री मुळकाण

रामसिंह सोलंकी

पिता

निर्मला राठौड़

ऊँघ भरी छ खेत क

गौरीशंकर 'कमलेश'