टाबर पर कवितावां

हिंदी के कई कवियों ने

बच्चों के वर्तमान को संसार के भविष्य के लिए समझने की कोशिश की है। प्रस्तुत चयन में ऐसे ही कवियों की कविताएँ संकलित हैं। इन कविताओं में बाल-मन और स्वप्न उपस्थित है।

कविता88

चेतै आयगी मां

आशीष पुरोहित

हरिया रूंख

अंजु कल्याणवत

प्रीत, छांट अर गड़ा

राजूराम बिजारणियां

थळी रा संस्कार

राजूराम बिजारणियां

चाँद मामो

हरीश हैरी

चानणो

अंजु कल्याणवत

क्यूं याद आवै

राणुसिंह राजपुरोहित

मंड्यो मगरियो

भगवान सैनी

बाळकियौ

मणि मधुकर

बगदबो चाहूं

देवेश पथ सारिया

इसपताऴ री नरस बावऴी...

गौरीशंकर ‘भावुक’

कांच री आस्था

रचना शेखावत

बस तणी

कमल रंगा

बाळक री मुळकाण

रामसिंह सोलंकी

पिता

निर्मला राठौड़

ऊँघ भरी छ खेत क

गौरीशंकर 'कमलेश'

चांद

मनमीत सोनी

टपक-टपक

भगवान सैनी

सुणो भगवान..!

मंजू किशोर 'रश्मि'

काळा-बादळ

भगवान सैनी

नसो

शंभुदान मेहडू

पतंग अर टाबर

मदन सैनी

अखबार

सुनील कुमार

संतान रो सुख

कान्ह महर्षि

चिराळी री गूंज

चन्द्र प्रकाश देवल

टाबर

जितेन्द्र कुमार सोनी

थारी हूंस रा मारग

अर्जुन देव चारण

थूं जद

सुरेन्द्र सुन्दरम

कोट-दरवाजो

रामनाथ व्यास ‘परिकर’

पोसाळ

श्याम महर्षि

दो दांतां पै

विष्णु विश्वास

बाळक

जितेन्द्र निर्मोही

भगवान मदत करता

भगवान सैनी

मेळो

शंकर दान चारण

आपो औलख

विश्वम्भरप्रसाद शर्मा ‘विद्यार्थी’

बस्तो

जितेन्द्र निर्मोही

बाळपणों

अजय कुमार सोनी

बाळपणो

राजेन्द्र जोशी

फूटरा

मनोज कुमार स्वामी

कमेड़ी

देवीलाल महिया

बाजरी-टाबरी

महेन्द्र मील