टाबर पर कवितावां

हिंदी के कई कवियों ने

बच्चों के वर्तमान को संसार के भविष्य के लिए समझने की कोशिश की है। प्रस्तुत चयन में ऐसे ही कवियों की कविताएँ संकलित हैं। इन कविताओं में बाल-मन और स्वप्न उपस्थित है।

कविता98

आजादी अर सपना

अर्जुन देव चारण

चेतै आयगी मां

आशीष पुरोहित

मजूर रौ दिन

अर्जुन देव चारण

प्रीत, छांट अर गड़ा

राजूराम बिजारणियां

थळी रा संस्कार

राजूराम बिजारणियां

हरिया रूंख

अंजु कल्याणवत

चाँद मामो

हरीश हैरी

चानणो

अंजु कल्याणवत

नाणा

विजय गिरि गोस्वामी 'काव्यदीप'

बदळाव

निशान्त

हांसी अर हाहाकार

जनकराज पारीक

बोकसी

मनोज कुमार स्वामी

टाबर

दीनदयाल शर्मा

आग रा छांटा

त्रिभुवन

मां

भगवान सैनी

क्यूं याद आवै

राणुसिंह राजपुरोहित

मंड्यो मगरियो

भगवान सैनी

बाळकियौ

मणि मधुकर

बगदबो चाहूं

देवेश पथ सारिया

इसपताऴ री नरस बावऴी...

गौरीशंकर ‘भावुक’

कांच री आस्था

रचना शेखावत

बस तणी

कमल रंगा

बाळक री मुळकाण

रामसिंह सोलंकी

पिता

निर्मला राठौड़

ऊँघ भरी छ खेत क

गौरीशंकर 'कमलेश'

चांद

मनमीत सोनी

टपक-टपक

भगवान सैनी

सुणो भगवान..!

मंजू किशोर 'रश्मि'

काळा-बादळ

भगवान सैनी

नसो

शंभुदान मेहडू

पतंग अर टाबर

मदन सैनी

अखबार

सुनील कुमार

संतान रो सुख

कान्ह महर्षि

चिराळी री गूंज

चन्द्र प्रकाश देवल

टाबर

जितेन्द्र कुमार सोनी

पाग अर पीठ

हरदान हर्ष

थारी हूंस रा मारग

अर्जुन देव चारण

लोभ

प्रेमजी ‘प्रेम’

थूं जद

सुरेन्द्र सुन्दरम

कोट-दरवाजो

रामनाथ व्यास ‘परिकर’

मां

अंकिता पुरोहित

पोसाळ

श्याम महर्षि

दो दांतां पै

विष्णु विश्वास

बाळक

जितेन्द्र निर्मोही

भगवान मदत करता

भगवान सैनी