धूप-दियो कर शंभु बोल्यो

लो भगवान किताब रो झोळो

अबै प्रभु म्हनै थांरी आस

बिना पढ्यां करवाद्यो पास।

पूजा नित उठ करस्यूं थांरी

थे पास कर्‌या गिरधारी

फेरूं लाम्बो तिलक लगायो

शंभु परीक्षा देवण आयो।

पेपर देख'र सिर चकरायो

आंख बंद कर ध्यान लगायो

पाछै पेपर बांचण लाग्यो

पण, उणरै की समझ नीं आयो।

अबैं तो शंभु घणो घबरायो

उत्तर उणनै अेक नीं आयो

गुरुजी उणरै नेड़े आया

फेरूं भेद री बात बताया।

पढणै सूं थूं जीव चुरायो।

आळस कर भगवान रुसायो

जे थूं मैणत करनै पढतो

मदत करण प्रभु आगे बढतो।

स्रोत
  • पोथी : म्हैं ई रेत रमूंला ,
  • सिरजक : भगवान सैनी
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