म्हारौ कांई बिगड़ै,

म्हैं तौ अेक नसौ!

टाबरां...

म्हासूं अळगा रैजो!

म्हैं

हिड़किया री लाळ...

मिनखां

अळगा रैजो!

गळै ढळतां

भूत माथै चढ़ बोलै

आखी आंखियां...

बाळपणां री

सगळी

सितार बजावै

कदैई

म्हारी आंखियां-ई

बजायौ सितार!

अबै

आं आंखियां सूं

जै’र बरसै...

टाबरां

रेवौ अळगा

उड़ता रौ

ठाया बदळता रैवौ!

म्हनै

गडियौ रैवण दौ

मील रै

थाम्बा रै उनमाण!

स्रोत
  • पोथी : सगत ,
  • सिरजक : शंभुदान मेहडू ,
  • संपादक : धनंजया अमरावत ,
  • प्रकाशक : रॉयल पब्लिकेशन ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै