विभाजन पर कवितावां

विभाजन का अर्थ हैं बाँटा

जाना—बँटवारा। भारत-पाक विभाजन मानवीय इतिहास की क्रूर घटनाओं में से एक है, जिसकी कटु स्मृतियाँ हमें आज भी कचोटती हैं। इसके अतिरिक्त भी विभाजन के विविध स्तर हैं, जिनसे समय-समय पर मनुष्य-जाति और संस्कृतियाँ गुज़रती रही और रहती हैं। यहाँ प्रस्तुत है—विभाजन विषयक आधुनिक कविताओं से एक अपूर्व चयन।

कविता10

बंटवारो

भगवती लाल व्यास

पतियारो

शिवराज भारतीय

पीड़

शिवराज भारतीय

भींत

हरीश हैरी

खावै

त्रिभुवन

बंटवारो

दीनदयाल शर्मा

पड़तख गवाह

प्रमिला शरद व्यास

फरक

किशोर कुमार निर्वाण

पड़तख गवाह

संजय पुरोहित

मिनखां रो लोई बैवावै है...

रामजीवण सारस्वत ‘जीवण’