लोभ पर कवितावां

लालच किसी पदार्थ, विशेषतः

धन आदि प्राप्त करने की तीव्र इच्छा है जिसमें एक लोलुपता की भावना अंतर्निहित होती है। इस चयन में लालच विषय पर अभिव्यक्त कविताओं को शामिल किया गया है।

कविता14

अेक ठहर्योड़ी दोप’री

गोरधन सिंह शेखावत

रंगरूट

पवन सिहाग 'अनाम'

सज रैया है कैक्टस

किशोर कुमार निर्वाण

राज

रचना शेखावत

पछींत

प्रेमजी ‘प्रेम’

राज बदळग्यौ म्हांनै कांई

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

बावळा

लालचन्द मानव

सुवारथ

दीपचन्द सुथार

रूंख अर देस

भंवर कसाना

रिस्ता

रमेश भोजक 'समीर'

लालची मिनख रो पेट

जेठानंद पंवार

कीड़ी चुगो

भगवती लाल व्यास

बगत री बात

दीपचन्द सुथार