ऊँठ पर कवितावां

ऊँट को रेगिस्तान का

जहाज़ कहते हैं। वह मरु के जीवन और जिजीविषा का प्रतीक है। कविता में रेत के अनुभवों के प्रवेश पर ऊँट का गर्दन उठाए साथ चले आना सबसे स्वाभाविक घटित होता है।

कविता8

ट्रेक्टर

जगदीश गिरी

लागणौ म्हनै...

दुलाराम सहारण

टोळो

नाथूसिंह इंदा

कोट-दरवाजो

रामनाथ व्यास ‘परिकर’

अपणायत

मीठेश निर्मोही

दस दात : 2. ऊँट

नानूराम संस्कर्ता

ऊंट

शारदा कृष्ण