आदीत रै रतनागर उतरियां

सम सूं ढळग्या है

आप-आपरै डेरै

मस्ती छाणतोड़ा मजूर

उद्यमी, सेठ-साहूकार

अर आप-आपरै

ऊंटां नै टोळता औठीड़ा

कमर-बंधी

नोळियां री मुळक सूं

उगेरता 'रतन राणौ।'

स्रोत
  • पोथी : मुगती ,
  • सिरजक : मीठेस निरमोही ,
  • प्रकाशक : मरुवाणी प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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