ऊँठ पर लोकगीत

ऊँट को रेगिस्तान का

जहाज़ कहते हैं। वह मरु के जीवन और जिजीविषा का प्रतीक है। कविता में रेत के अनुभवों के प्रवेश पर ऊँट का गर्दन उठाए साथ चले आना सबसे स्वाभाविक घटित होता है।