आस पर कवितावां

कविता129

डंकै री चोट

जयनारायण व्यास

शाश्वत परेम

कासिम अली

मिनख बापड़ो

मेघराज मुकुल

वां रै खातर

योगेश व्यास राजस्थानी

मिनख री छायां

त्रिभुवन

जीवण

तारा ‘प्रीत’

मून मारै चिरळाटी

आनंद पुरोहित 'मस्ताना'

अेक दीवौ

सांवर दइया

लावौ दौ माचिस

पारस अरोड़ा

तसवीर नी बोले

कैलाश मंडेला

कविता रो मारग

गजेन्द्र कंवर चम्पावत

जीवण-जोत

सत्यप्रकाश जोशी

हेलौ

सांवतराम कासणिया ‘प्रेमी’

सावचेत जे रहतौ

अस्त अली खां मलकांण

औ बिजौगण

अस्त अली खां मलकांण

तूं आइजै

सांवर दइया

नुवों नुवों परभात रै

कुंदन सिंह 'सजल'

चिंता नीं करणी

नगेन्द्र नारायण किराडू

संजीवणी आस

दीनदयाल ओझा

रूसी गदर रै नांव

वेलेरी बर्‌यूजोव

नींद नै बेच'र

मंजू किशोर 'रश्मि'

कळां भखै मिनखपणों

इन्द्रा व्यास

कतना दन और?

रघुराजसिंह हाड़ा

जूण जातरा

संजय पुरोहित

बतलावण

महेंद्र कुमार मोहता

उडीक बगत र आगीवांण री

चंद्रशेखर अरोड़ा

परजा

अशोक जोशी ‘क्रांत’

जीवण जोत जळै है

भँवरसिंह सहवाल

आग रा छांटा

त्रिभुवन

कोनी भरोसो सबदकोस रो

मदन गोपाल लढ़ा

दूजी लहर

रमेश मयंक

हूंस री डोर

हरीश सुवासिया

ओ जीणो भी के जीणो है

भागीरथसिंह भाग्य

मजदूरण

ज़ेबा रशीद

लौटबो

किशन ‘प्रणय’

अेकज आस

मालचंद तिवाड़ी

अबकै

सांवर थावर

रेत सूं सवाल

ऋतु शर्मा

बिना सबद रो प्रेमगीत

किशोर कल्पनाकान्त

विदाई

नन्दकिशोर चतुर्वेदी

प्रेम

अनिल अबूझ

बावळा क्यूं सोचै दिन रात।

मानसिंह शेखावत ‘मऊ’

दिन

मोहन आलोक