हाथ पर कवितावां

हाथ हमारे प्रमुख अंग

हैं, जो हमें विशिष्ट कार्य-सक्षमता प्रदान करते हैं और इस रूप में श्रम-शक्ति के उपस्कर हैं। वे स्पर्श और मुद्राओं के माध्यम से प्रेम हो या प्रतिरोध—हमारी भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम भी बनते हैं। इस चयन में हाथ को विषय बनाती कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता20

बरसां पछै

राजूराम बिजारणियां

मीडी

छत्रपाल शिवाजी

बोलै सरणाटो

हरीश भादानी

हाथ

श्याम महर्षि

जांवता हा

सत्यदीप ‘अपनत्व’

आखर बोल : आखर बांच

हरीश भादानी

पूतळी

रति सक्सेना

बैराग

रचना शेखावत

सूरज चाईजै

संजय आचार्य 'वरुण'

ले लीजे उजास

संजय आचार्य 'वरुण'

हथेळी रा छाला

मनोज शर्मा

हाथ

अर्जुनसिंह शेखावत

प्रीत पराई,पीठ पराई

मनीषा आर्य सोनी

खाथो चाल रे

हरीश भादानी

सुण साथी म्हारा

सत्यदीप ‘अपनत्व’

भासा रै बिना

चन्द्र प्रकाश देवल

चिटली पर चांद

सत्यदीप ‘अपनत्व’