मैमाण पर कवितावां
अतिथि का अभिप्राय है—आगंतुक,
मेहमान, अभ्यागत। ‘अतिथि देवो भवः’ की भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में वह अत्यंत सत्कार-योग्य कहा गया है। काव्य में प्रवेश और घर करता अतिथि अपने अर्थ और उपस्थिति का विस्तार करता चलता है।
मेहमान, अभ्यागत। ‘अतिथि देवो भवः’ की भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में वह अत्यंत सत्कार-योग्य कहा गया है। काव्य में प्रवेश और घर करता अतिथि अपने अर्थ और उपस्थिति का विस्तार करता चलता है।